आम फसलों के मुकाबले सब्जियों की खेती ज़्यादा मुनाफ़े का सौदा है, इसलिए अब किसान आम फसलों की जगह सब्जियों पर ज़्यादा भरोसा करने लगे हैं। सब्जियों में शकरकंद की खेती किसानों के लिए एक अच्छा मुनाफ़ा देने वाली सब्जी है। शकरकंद अपने पोषक तत्व और स्वाद की वजह से लोगों के बीच बहुत ज़्यादा प्रचलित है। इसमें आयरन, विटामिन D, A और B6 भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिस वजह से मार्केट में शकरकंद की मांग हमेशा बनी रहती है। आइये जानते हैं कि शकरकंद की खेती में किन-किन बातों का ध्यान रखने की आपको ज़रूरत है?
फसल लगाने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना ज़रूरी
शकरकंद आलू की तरह ही ज़मीन में उगने वाली एक सीज़नल सब्जी है। इसकी फसल लगाने से पहले आपको अपने खेत को तैयार करने की ज़रुरत होती है। शकरकंद की खेती के लिए बहुत ज़रूरी है कि मिट्टी साफ, भुरभुरी और नरम होनी चाहिए। फसल की रोपाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और खेत को खुला छोड़ दें। इसके बाद पुरानी गोबर की खाद या दूसरी खाद डाल दें। इसके बाद खेत में पानी डाल कर उसमें रोटावेटर चलायें। इसके बाद बारी आती है खेत में क्यारियां बनाने की और फिर रोपाई की।
रोपाई करते वक़्त इन बातों का रखें ख्याल
शकरकंद के पौधे नर्सरी में तैयार होते हैं। रोपाई करते समय दो पौधों के बीच में लगभग 1 फ़ीट की दूरी होनी चाहिए और पौधे को 20 सेंटीमीटर की गहराई में बोया जाना चाहिए। इसके बाद समय-समय पर या हफ़्ते में एक बार पानी देना चाहिए। अब आपको समय-समय पर ये भी देखना है कि कहीं फसल में कोई कीट तो नहीं लग रहे। अगर आपकी फसल में कीट लग जायें तो कीटनाशक का छिड़काव करें। पौधे के विकास के लिए यूरिया का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
शकरकंद की खेती में इतनी मिलती है उपज
शकरकंद की फसल 3 से 4 महीने में काटने योग्य हो जाती है। इसके बाद इन्हें ज़मीन से खोद के निकाल लिया जाता है। अलग-अलग किस्मों के हिसाब से किसान भाई 1 हेक्टेयर में 10 से 25 टन तक उपज पा सकते हैं और बढ़िया मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
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