हरेक किसान भली-भाँति जानता है कि खेती-बाड़ी के लिए धूप, हवा, पानी और मिट्टी अनिवार्य है। इनसे ही पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। खेती की सारी प्रक्रिया इन्हीं पोषक तत्वों का सतत प्रवाह सुनिश्चित करने से जुड़ी होती है। इसीलिए किसानों के लिए ये समझना ख़ासा उपयोगी है कि खेती में कौन सा पोषक तत्व क्या प्रमुख भूमिका निभाता है? प्रस्तुत लेख में किसान ऑफ़ इंडिया ने ऐसी ही रोचक और वैज्ञानिक जानकारियाँ संकलित की हैं ताकि इन्हें ध्यान में रखकर किसान भाई-बहन अपनी पैदावार और उसकी क्वालिटी को लेकर और सतर्क तथा सक्षम बन सकें।
धूप, हवा और पानी की महिमा
सूरज से मिलने वाले प्रकाश या धूप और इसमें मौजूद गर्मी के ज़रिये वनस्पतियों में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) या अपना भोजन ख़ुद तैयार करने की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। यदि किसी वजह से पौधों को सूर्य का प्रकाश नहीं मिल सके तो उन्हें कृत्रिम प्रकाश भी दिया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग में पाया है कि लगातार प्रकाश मिलने से पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया भी लगातार जारी रह सकती है और इससे वो कई गुना तेज़ी से विकास कर सकते हैं।
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भोजन बनाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पौधों को कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) और नमी या पानी की भी ज़रूरत पड़ती है। हवा या वातावरण से पौधों को कार्बन डाइ ऑक्साइड बहुत आसानी से मिल जाता है। साँस लेने के लिए भी पौधे हवा से ही ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं। ऑक्सीजन की सूक्ष्म मात्रा की ज़रूरत पौधों के उन हिस्सों को भी पड़ती है जो मिट्टी में दबे होते हैं। खेत की जुताई के ज़रिये जब मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है तो उससे पौधों के मिट्टी के नीचे दबे हिस्सों को ऑक्सीजन पाने में आसानी होती है।
भुरपुरी मिट्टी में पौधों के लिए ज़्यादा नमी संचित करके रखने की क्षमता भी होती है। इसी क्षमता की बदौलत मिट्टी की ओर से लगातार पौधों को नमी या पानी की सप्लाई की जाती है। सूखे की दशा में पौधे जीवित रहने के लिए नमी की कुछ मात्रा को हवा से भी सोखने की कोशिश करते हैं लेकिन इससे उनकी पानी की ज़रूरत पूरी नहीं होती और इसकी भरपाई के लिए उन्हें मिट्टी में पायी जाने वाली नमी पर निर्भर रहना पड़ता है। इसीलिए मिट्टी के नमी-चक्र को बरकरार रखने के लिए बारिश या सिंचाई की ज़रूरत पड़ती है।
मिट्टी है 16 पोषक तत्वों का ख़ज़ाना
प्रकाश संश्लेषण के तहत धूप, हवा, पानी और मिट्टी से प्राप्त पोषक तत्वों के बीच रासायनिक क्रियाएँ करके पौधे अपना भोजन पकाते या निर्मित करते हैं। मिट्टी से पौधों को 16 पोषक तत्वों की सप्लाई होती है। किसी भी फ़सल का अच्छा विकास और खेती से होने वाले लाभ का दारोमदार इन्हीं पोषक तत्वों पर होता है। इनके नाम हैं – कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), ऑक्सीजन (O), नाइट्रोजन (N), फ़ॉस्फोरस (P), पोटाश (K), कैल्शियम (Ca), मैग्नीशियम (Mg), सल्फर (S), ज़िंक (Zn), आयरन (Fe), कॉपर (Cu), बोरान (B), मैगनीज (Mn), मोलिबडनम (Mo) और क्लोरीन (Cl)।
शानदार खेतीहर मिट्टी में इन्हीं 16 पोषक तत्वों का एक सन्तुलित अनुपात मौजूद होता है। पौधों का सर्वांगीण विकास और वृद्धि इन्हीं 16 पोषक तत्वों पर निर्भर करती है। इनमें से किसी एक की भी कमी का पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों का ब्यौरा जानने के लिए ही मिट्टी की जाँच करवायी जाती है।
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ऐसे आवश्यक पोषक तत्व हैं जो पौधों को मिट्टी के अलावा सीधे वायुमंडल से भी प्राप्त हो जाती है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता से ही उसकी उर्वरा शक्ति क़ायम रह सकती है, क्योंकि इन्हीं कार्बनिक पदार्थों से मिट्टी में उसे उपजाऊ बनाने वाले उन सूक्ष्म जीवों की मात्रा बढ़ती है जो अन्ततः फसल को पोषक तत्व मुहैया करवाते हैं। मिट्टी में कार्बन की भरपायी करने का काम फ़सल अवशेष और अनेक कार्बनिक पर्दाथों के अपचयन या विघटन से आसानी से हो जाता है। फिर भी यदि मिट्टी में कार्बन अंश बढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है तो किसान राख या बायोचार का इस्तेमाल करते हैं।
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मिट्टी के पोषक तत्वों की श्रेणियाँ
कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बाद बाक़ी बचे मिट्टी के 13 पोषक तत्वों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है। इन्हें मुख्य, सहायक और सूक्ष्म पोषक तत्व कहा गया है।
1. प्राथमिक या मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस और पोटाश। पौधों को इनकी काफ़ी मात्रा में ज़रूरत रहती है इसीलिए ये प्रमुख पोषक तत्व कहलाते हैं। मिट्टी में इसे खाद और उर्वरक दोनों रूपों में उपलब्ध करवाया जाता है। खाद के रूप में मिट्टी में नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा को बढ़ाने के लिए से कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट या सड़े गोबर की खाद को सन्तुलित और अनुशंसित मात्रा में देना बहुत ज़रूरी होता है। यदि इन प्रमुख पोषक तत्वों को मिट्टी में रासायनिक खाद की तरह यूरिया, DAP और म्यूरिट ऑफ़ पोटाश के रूप मिलाया जाता है तो मिट्टी में अम्लीयता बढ़ जाती है।
मिट्टी की अम्लीयता पर काबू पाने के लिए रासायनिक खादों के साथ जैविक खादों जैसे सड़ा गोबर, केंचुआ खाद, नीम, करंज और महुआ की खली भी डालना पड़ता है। नाइट्रोजन की भरपाई के लिए आमतौर पर किसान अपनी फ़सलों में यूरिया डालते हैं। लेकिन यूरिया से मिट्टी को सिर्फ़ नाइट्रोजन मिलता है, वो भी क़रीब 46 प्रतिशत। जबकि DAP यानी डाई अमोनियम फ़ॉस्फेट डालने से फ़ॉस्फोरस (46%) के अलावा नाइट्रोजन (18%) भी मिलता है। इसी तरह, म्यूरिट ऑफ़ पोटाश को डालने से मिट्टी को केवल पोटाश (60%) मिलता है।
2. सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे लोहा, ज़िंक, कॉपर, मैगनीज, बोरान, मोलिब्डेनम और क्लोरीन। इन सभी पोषक तत्वों की ज़रूरत भी हरेक पौधे के अपने समुचित विकास के लिए पड़ती है। हालाँकि, इनकी सूक्ष्म मात्रा का ही पौधे दोहन करते हैं इसीलिए ये सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं। आमतौर पर सूक्ष्म पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा मिट्टी में मौजूद रहती है, लेकिन कभी-कभार ज़िंक की कमी को पूरा करने के लिए ज़िंक सल्फेट और बोरान को बढ़ाने के लिए बोरेक्स डालना पड़ता है।
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