खेती के साथ पशुपालन एक पुरानी परंपरा रही है। अब बदलते दौर के साथ पशुपालन एक व्यवसाय का रूप ले चुका है। सही प्रबंधन किया जाए तो डेयरी व्यवसाय से अच्छा मुनाफ़ा किसान कमा सकते हैं। उन्नत तकनीकों की मदद से लेबर खर्च और मेहनत को कम कर के आज किसान अपनी कमाई को कई गुना बढ़ा रहे हैं। मेहनत और लगन से कई किसान कामयाबी की कहानी लिख रहे हैं। तेलंगाना की रहने वाली अब्बोजू ज्योति एक ऐसी ही महिला किसान हैं, जो आज अपने क्षेत्र में सफल ‘डेयरी वुमन’ कहलाती हैं।
10 साल की मेहनत का नतीजा
तेलंगाना के वारंगल ज़िले की रहने वाली अब्बोजू ज्योति के पास 2 एकड़ ज़मीन हैं। ज्योति ने 10 साल पहले सिर्फ़ एक भैंस के साथ डेयरी फ़ार्म की शुरुआत की थी। अपनी मेहनत और सही प्रबंधन की बदौलत आज वह एक सफल डेयरी वुमन बन गई हैं। आज वह सालाना 6 लाख रुपये की कमाई कर रही हैं।
तकनीकों का इस्तेमाल
ज्योति ने महिला संगम संस्था से 50 हज़ार रुपये का लोन लेकर एक भैंस खरीदा था। ये भैंस हर दिन 6 लीटर दूध देती थी। इसके बाद उन्होंने 2 और भैंसों के साथ ही 7 गायें भी खरीदीं। पशुओं को रहने के लिए शेड का निर्माण करवाया। साथ ही पशु के हरे चारे के लिए ज्वार का उत्पादन शुरू किया। उन्होंने चारा काटने वाली मशीन और ग्रेडिंग मिल मशीन भी खरीदी। जिसकी कीमत करीबन 20 हज़ार रुपये पड़ी। डेयरी फ़ार्म के साथ ही वह मछली पालन और मुर्गी पालन भी कर रही हैं।पशुपालन से एकत्र होने वाले कचरे से वह गोबर गैस भी बनाती हैं।
कितना होता है मुनाफ़ा?
पशुपालन, मुर्गीपालन और मछली पालन के कार्य में उनकी सालाना लागत करीबन ढाई लाख रुपये आती है। उन्होंने पशुओं की देखभाल के लिए फ़ार्म में एक आदमी भी रखा है। उन्हें सालाना करीबन साढ़े चार लाख का मुनाफ़ा होता है।
ज्योति की उपलब्धियां
ऑल इंडिया रेडियो और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation, NSDC) की ओर से उन्हें बेस्ट प्रोगेसिव फ़ार्मर के सम्मान से नवाज़ा जा चुका है। साथ ही दिल्ली डीडी किसान अवॉर्ड भी मिल चुका है। पशुपालन के क्षेत्र में उनकी सफलता देखकर आसपास के अन्य किसान भी उनसे प्रेरित हुए हैं।
डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत करते समय ध्यान रखें ये बातें
- अच्छी नस्ल के पशुओं का चुनाव करें, जो दूध अधिक देती हो। दूध जितना अधिक होगा आपका मुनाफ़ा भी उतना ही ज़्यादा होगा।
- पशुओं के रहने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए और उनके रहने की जगह को साफ-सुथरा रखना ज़रूरी है।
- चारे का भी सही प्रबंधन करना चाहिए। दूध की मात्रा और गुणवता चारे की पौष्टिकता पर भी निर्भर करती है। हरा चारा ज़्यादा देने की ज़रूरत है।
- पशुओं को टीके लगवाना ज़रूरी है और बीमार पड़ने पर सही देखभाल करें।
- दूध बेचने के साथ ही आप दूध से कई उत्पाद बनाकर उसकी भी मार्केटिंग कर सकते हैं, जैसे दही, घी, पनीर, मिठाइयां आदि।
अगर किसान डेयरी फ़ार्मिंग को व्यवसाय के रूप में देखे तो इसे वो अच्छी आमदनी अर्जित कर सकता है। सरकार भी देशभर में पशुपालन को बढ़ावा देती आई है। कई सब्सिडी स्कीम डेयरी फ़ार्मिंग को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं। अपने नज़दीकी नाबार्ड कार्यालय में जाकर स्कीमों से जुड़ी जानकारी प्राप्त करके किसान इन स्कीमों का लाभ उठा सकते हैं।
डेयरी फ़ार्मिंग मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है अगर किसान इसे पूरी तरह से परंपरागत तरीके से करने की बजाय थोड़ी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके करे। और इसे एक बिज़नेस की तरह चलाए।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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