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टमाटर का इस्तेमाल तो हर भारतीयों के घरों में होता है। सब्ज़ी से लेकर सॉस, चटनी तक में बिना टमाटर मज़ा नहीं आता। ऐसा कई बार होता है कि टमाटर के दाम आसमान छूने लगते हैं, जिससे टमाटर की खेती करने वाले किसानों को काफ़ी फ़ायदा होता है। टमाटर की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफ़ा होता है। हाइब्रिड टमाटर की कुछ किस्में ऐसी हैं जिनमें कीट और रोग लगने की आशंका न के बराबर होती है और ऐसे टमाटर की किस्मों की मांग बाज़ार में हमेशा रहती है। भारत में उच्च उपज वाली टमाटर की किस्मों (High Yield Tomato Varieties In India) की खेती से किसान अच्छा लाभ ले सकते हैं।
आपको बता दें कि भारत में टमाटर की खेती उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में होती है। वैसे टमाटर की पैदावार साउथ अमेरिका के पेरू में पहली बार हुई थी। टमाटर में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, सी, पोटाश्यिम व कई दूसरे मिनिरल्स भी अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं।
पूरी दुनिया में टमाटर की लगभग 15000 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं। अगर भारत की बात करें तो यहां लगभग 1000 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन टमाटर की कुछ हाइब्रिड किस्में ऐसी हैं जो किसानों को ज़्यादा मुनाफ़ा देती हैं, वहीं कुछ किस्मों के टमाटर काफ़ी महंगे दाम पर बिकते हैं।
हाइब्रिड टमाटर की खेती (Hybrid Tomato Farming)
टमाटर की खेती में हाइब्रिड किस्मों के उत्पादन से ज़्यादा लाभ मिलता है। इस तरह के टमाटर की वैरायटी में रोग प्रतिरोधक शक्ति अधिक होती है। इसके फल भी बड़े आकर के होते हैं। टमाटर की हाइब्रिड किस्मों में पूसा हाइब्रिड-1, श्रीराम-बालि, पूसा हाइब्रिड-4, अभिनव और अविनाश-2 प्रमुख हैं। साथ ही सिनजेंटा -रॉकी, श्रीराम-123, अर्का अभेद, नुजिविदु – सूर्य, सेमिनिस प्रणय, काशी अमन, वगैरह प्रमुख हैं।
हाइब्रिड टमाटर की खेती: कौन सी मिट्टी उपयुक्त?
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के अनुसार, वैसे तो टमाटर की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में होती है, लेकिन हाइब्रिड टमाटर की फसल के लिए रेतीली मिट्टी में और लाल मिट्टी अच्छी मानी जाती है। हाइब्रिड टमाटर की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए। ऐसी भूमि जहां पर जलभराव ज़्यादा हो, वहां हाइब्रिड टमाटर की खेती नहीं करनी चाहिए।
हाइब्रिड टमाटर की खेती कब करें?
हाइब्रिड टमाटर की खेती के लिए पौधे की नर्सरी आप नवंबर में शुरू करें और जनवरी महीने में बुवाई कर सकते हैं। वहीं अगर आप टमाटर की खेती सितंबर महीने में कर रहे हैं तो जुलाई महीने में पौधे नर्सरी में तैयार कर लें और अगस्त में बुवाई शुरू कर सकते हैं।
हाइब्रिड टमाटर की किस्में
आज के वक्त में टमाटरों की कई उन्नत और हाइब्रिड किस्में मौजूद है, जिनको किसान अपने खेतों में लगाकर अच्छा मुनाफ़ा बना सकते हैं। इन किस्मों के लिए वातावरण और जलवायु भी अलग-अलग होते हैं। टमाटर की कुछ ऐसी ही संकर किस्मों के बारे में हम बता रहे हैं, जिसकी उपज से किसाना कम लागत में ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।
1. सिन्जेंटा टू 2174
टमाटर की सिन्जेंटा टू 2174 किस्म में फलों की पहली तुड़ाई 60 से 70 दिनों की जाती है। इसके फल लाल और चमकदार होते हैं। मध्य आकार के टमाटर 80 से 100 ग्राम तक होते हैं। TLCV में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। इसकी पैदावार 250 से 300 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।
2. अभिनव
इस हाइब्रिड टमाटर की किस्म में चौड़ी पत्तियां होती हैं। इसका फल चमकदार और लाल होता है। ये फसल बुवाई के 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है। खरीफ़ मौसम में टमाटर की इस किस्म की पैदावार अधिक होती है।
3. सिनजेंटा-रॉकी
टमाटर की सिनजेंटा-रॉकी किस्म अधिक पैदावार वाली होती है। इसके टमाटर लाल और चमकदार होने के साथ अंडाकार होते हैं। ये फसल 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार लगभग 250 से 300 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।
4. पूसा गौरव
पूसा गौरव हाइब्रिड किस्म के टमाटर लाल रंग के होते हैं। इसका आकार भी बड़ा होता है। इस किस्म के टमाटर की मार्केट में काफ़ी मांग है। ये टमाटर भारत के साथ ही विदेशों में भी एक्सपोर्ट होता है।
5. श्रीराम-123
इस किस्म के हाइब्रिड टमाटर में फल गोल और लाल होते हैं, इसके साथ ही इनका आकार भी बड़ा होता है। पहली तुड़ाई 58 से 65 दिन पर होती है। इस किस्म के टमाटर अगेती झुलसा रोग से बचाव वाले होते हैं।
6. श्रीराम-बालि
श्रीराम-बालि किस्म के फल गोल और गहरे लाल होते हैं। फसल की पहली तुड़ाई 65 से 70 दिन पर होती है। इसकी खेती खरीफ़ सीज़न में की जाती है। श्रीराम-बालि की खेती अधिकतर राजस्थान में की जाती है।
7. अर्का अभेद
ये टमाटर की सबसे अच्छी हाइब्रिड किस्म मानी जाती है। ये 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर से 70-75 टन तक फल मिलता है।
8. नुजिविदु-सूर्य
नुजिविदु-सूर्य अधिक पैदावार वाला हाइब्रिड टमाटर की किस्म है। इसके फल चपटे गोल व लाल होते हैं। फल का वजन लगभग 90 से 100 ग्राम तक होता है। इसमें अगेती झुलसा रोग नहीं लगता है। इस किस्म को आप रबी, खरीफ़ और जायद सीज़न में भी लगा सकते हैं।
9. सेमिनिस प्रणय
सेमिनिस प्रणय हाइब्रिड किस्म जल्द पकने वाली फसल है। इसके फल लाल और गोल होते हैं। इसके फल का वजन 80 से 90 ग्राम तक होता है।
10. दिव्या
दिव्या हाइब्रिड किस्म के फल का वजन 70-90 ग्राम तक होता है। 75 से 90 दिनों के अंदर ही फल मिलना शुरू हो जाते हैं। ये पछेता झुलसा और आंख सडन रोग के लिए रोधी किस्म है।
दुनिया का सबसे महंगा टमाटर
दुनिया का सबसे महंगा टमाटर ‘समर सन’ है जो हज़ेरा बीज से निकलता है जिसे हज़ेरा जेनेटिक्स कंपनी बेचती है। इस बीज की ख़ासियत ये है कि सिर्फ़ एक बीज से टमाटर की अच्छी पैदावार होती है। कंपनी के अनुसार, इसके एक बीज से 20 किलो समर सन टमाटर उगता है। हज़ेरा जेनेटिक्स कंपनी हाई क्वालिटी वाले टमाटर बनाने के लिए जानी जाती है। हज़ेरा जेनेटिक्स एक किलोग्राम बीज को 3 करोड़ रुपए में बेचती है।
टमाटर की खेती में उन्नत तकनीक
बांदा कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और सब्ज़ी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार सिंह ने जानकारी दी कि अगर किसी किसान के पास ज़मीन कम है तो वो भी नेचुरल वेंटिलेटेड पॉलीहाउस के ज़रिए टमाटर की खेती कर सकता है। इस तकनीक में टमाटर के पौधे 15 से 20 फ़ीट ऊंचाई तक जाते हैं।
वो आगे बताते हैं कि किसान इस तकनीक की मदद से पूरे साल टमाटर की फसल ले सकते हैं। इसके तहत 15 से 30 जुलाई के बीच टमाटर की नर्सरी डाली जाती है। रोपाई 15 अगस्त के बाद होती है। फिर करीब 70-75 दिन बाद टमाटर की फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और 7 से 8 महीने तक किसान इससे फल ले सकते हैं। टमाटर के साथ ही किसान कई अन्य फसलों की भी खेती कर सकते हैं। बीच मे पत्तागोभी से लेकर रंगीन गोभी, ब्रोकली से लेकर गांठगोभी जैसी फसल लग सकती है, जिनका बाज़ार में भाव अच्छा मिलता है।
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