पशुपालन का जब भी ज़िक्र होता है तो अमूमन लोगों के दिमाग में गाय, भैंस, भेड़-बकरी का ख्याल आता है। लेकिन पशुपालन का अच्छा, सस्ता और मुनाफ़ा देने वाला एक और विकल्प है। ये है सूअर पालन। ये जानवर सबसे तेज़ी से मुनाफ़ा देने वाले पशुओं में शुमार है। इसको लेकर किसान ऑफ़ इंडिया ने नितिन बारकर से बात की, जो न सिर्फ़ खुद सूअर पालन से जुड़े हैं, बल्कि लोगों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। देश के कई राज्यों के किसान और सूअर पालन में रुचि रखने वाले युवा उनसे सलाह लेने आते हैं। बेकर पिग फ़ार्म (Baker Pig Farm) नाम से उनका सूअर पालन का फ़ार्म है। नितिन बारकर ने सूअर पालन से जुड़ीं कई जानकारियां हमारे पाठकों के लिए साझा कीं ।
सूअर पालन को लेकर लोगों में गलत धारणा
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले के रहने वाले नितिन बारकर ऐग्रिकल्चर साइंस से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के कौशांबी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित एग्री-क्लिनिक और कृषि-बिज़नेस सेंटर (AC&ABC) योजना के तहत ट्रेनिंग भी ली हुई है। उन्होंने सूअर पालन के बड़े बाज़ार को देखते हुए इससे जुड़ने का फैसला किया। Kisan of India से बातचीत में उन्होंने बताया कि आज कई लोग सूअर पालन को अच्छा नहीं मानते। शुरू से ही लोगों में इस जानवर को लेकर गलत धारणा है, लेकिन ये जानवर डेयरी उद्योग, बकरी पालन और मुर्गी पालन के मुकाबले कम वक़्त में अच्छा मुनाफ़ा देने की काबिलियत रखता है।
अच्छा है इसका बाज़ार, बिक्री में नहीं आती दिक्कत
नितिन बताते हैं कि जहां दूसरे मवेशियों की बिक्री में बाज़ार मिलने की समस्या से दो-चार होना पड़ता है, सूअर का बाज़ार आसानी से उपलब्ध होता है। बाज़ार में इसको लेकर होड़ नहीं है। इस वजह से मुनाफ़े की दर अच्छी रहती है। नितिन ने बताया कि उन्हें आज तक इसकी मार्केटिंग को लेकर दिक्कत नहीं आई।
कैसे की सूअर पालन की शुरुआत?
नितिन बारकर ने खुद के ही 50 हज़ार के निवेश के साथ अपने घर की छत पर छोटे स्तर से सूअर पालन की शुरुआत की। उन्होंने यॉर्कशायर नस्ल के 10 छोटे सूअर खरीदे। दो नर और आठ मादा के अनुपात में इन्हें खरीदा। पड़ोसियों को परेशानी न हो इसके लिए सभी तरह के रखरखाव और स्वच्छ वातावरण बनाए रखने पर ध्यान दिया। नर सूअरों का वजन बढ़ने के बाद थोक विक्रेताओं और खुदरा व्यापारियों को बेच दिया। इससे उन्हें 75,000 रुपये की आय हुई। इसके बाद नितिन ने सूअर के बच्चों की एक और खेप खरीदी और मादा सूअर को प्रजनन के लिए रखा। अभी उनके फ़ार्म में कुल मिलाकर 100 से ऊपर सूअर हैं। उनके फ़ार्म से सूअर लेने दूर-दूर से लोग आते हैं।
इसके बाद जब सूअर पालन व्यवसाय को अच्छा स्टार्ट मिलने लगा तो उन्होंने बड़े स्तर पर इसको ले जाने का निर्णय लिया। नितिन बताते हैं कि उनके सामने सूअर पालन के लिए ज़मीन खरीदने की समस्या भी आई। सूअर पालन के लिए लोग ज़मीन किराये पर भी आसानी से नहीं देते। कई पिग फ़ार्मिंग यूनिट्स तो बस इसीलिए बंद हो गईं क्योंकि आस-पास के लोग इसके खिलाफ़ थे। उन्होंने जब ज़मीन खरीदी तो बेचनेवाले को अपने व्यवसाय के बारे में पूरी जानकारी दी। इसके बाद अपने कारोबार को बढ़ाने में लग गए।
फ़ार्म में स्टोर रूम बनवाया। व्यस्क नर और मादा को रखने के लिए अलग-अलग बाड़े बनवाए। छोटे बच्चों को रखने के लिए भी अलग से बाड़ों का निर्माण करवाया। डिलीवरी के लिए भी अलग से रूम बनवाया क्योंकि कभी-कभी मादा सूअर बच्चा पैदा करने के बाद अपने बच्चे को खा भी जाती हैं। एक दो दिन के बच्चों को दबा भी देती हैं। इस वजह से हर चीज़ का ध्यान रखना पड़ता है। उनकी धुलाई के लिए पम्प भी लगवाया।
इसके बाद नितिन बारकर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तब से लेकर अब तक वो पूरी तरह से सूअर पालन कर रहे हैं और अच्छा मुनाफ़ा अर्जित कर रहे हैं। साथ ही अपने क्षेत्र के युवाओं को सूअर पालन के गुर भी सिखा रहे हैं।
2 से 3 महीने के बच्चे की ढाई से 3 हज़ार कीमत
नितिन बारकर ने आगे बताया कि मादा सूअर साल में दो बार बच्चे देती है। इनकी गर्भावस्था 90 से 110 दिनों की होती है। एक बार में कम से कम 8 बच्चे होते हैं। इसका दो से तीन महीने का बच्चा बाज़ार में ढाई से तीन हज़ार रुपये में बिक जाता है। नितिन बताते हैं कि वजन के हिसाब से भी सूअर का दाम तय होता है। 90 से 110 रुपये प्रति किलो वजन के हिसाब से भी ये बिकते हैं।
रखरखाव का कैसे रखा जाता है ध्यान?
नितिन बताते हैं कि सूअर पालन में नर, मादा और बच्चों के लिए अलग-अलग बाड़ा बनाना चाहिए। पानी की भी अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। सुअरों को मुख्य तौर पर गला घोंटू, खुर पका-मुंह पका, त्वचा से संबंधित रोग, पेट खराब होना, स्वाइन फीवर होने का खतरा रहता है। इनसे जानवर को बचाने के लिए समय पर टीकाकरण कराने की ज़रूरत होती है। नितिन बारकर अपने वहां सूअरों का नियमित तौर पर वैक्सीनेशन कराते हैं।
इनके चारे पर भी अच्छे से ध्यान देने की ज़रूरत
नितिन आगे बताते हैं कि सूअर के आहार को लेकर कई लोगों में गलतफ़हमी है कि ये कुछ भी खा लेते हैं। ऐसा नहीं है। इन्हें भी सही मात्रा में अच्छी डाइट की ज़रूरत होती है। Baker Pig Farm में सुअरों के चारे पर खासतौर से ध्यान दिया जाता है। उन्हें आहार लग भी रहा है या नहीं, इसके लिए सुअरों की अच्छे से निगरानी की जाती है। मक्का, सोया डीओसी, सरसों की खली, चावल की टुकड़ी मुख्य आहार में रहता है।
ट्रेनिंग लेने के बाद ही शुरू करें सूअर पालन
सूअर पालन करने में रुचि रखने वालों को सलाह देते हुए नितिन बारकर कहते हैं कि ये जितना आसान दिखता है, उतना है नहीं। ट्रेनिंग लेने के बाद ही इस क्षेत्र में कदम रखना चाहिए।अच्छे से ट्रेनिंग लेंगे तो मुनाफ़ा भी होगा। नितिन कहते हैं कि आपको पता होना चाहिए वैक्सीनेशन कब देनी है, उपचार और रखरखाव कैसे करना चाहिए। आप ऐग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी और कृषि विज्ञान केंद्र से जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं। इसके बाद छोटे स्तर से ही सूअर पालन की शुरुआत कर सकते हैं।
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