आलू की खेती (Farming of potato): जमीन को नई फसल के लिए तैयार करने के लिए किसान पराली जला देते हैं। हर बार पराली जलाना प्रदूषण को भी बढ़ा देता है। लेकिन अब पराली को काम में लिया जा सके इसके लिए कई तरह के उपयोग किए जा रहे हैं।
पराली का ऐसा ही उपयोग पंजाब के संगरूर जिले के किसान कर रहे हैं। कई किसान पराली को खेतों में मिलाकर गेहूं की बिजाई को अपना रहे हैं, तो मर्दखेड़ा गांव के किसान धान की कटाई के बाद आलू की खेती में भी पराली का उपयोग कर रहे हैं।
Follow Kisan of India on Youtube
गांव के किसान पराली को जलाने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए आलू की खेती के लिए इस तकनीक को अपना रहे हैं। आलू की खेती करने से न सिर्फ पराली को जलाने पर रोक लग रही है बल्कि किसान आलू की खेती से मुनाफा भी कमा रहे हैं। वे बड़ी-बड़ी कंपनियों को चिप्स बनाने के लिए अपनी आलू की फसल बेच रहे हैं।
ये भी देखें : जानवर खा जाते हैं आपकी फसलें तो करेले की खेती कर कमाएं लाखों
ये भी देखें : कम लागत में शुरू करें गोबर से टाइल्स बनाना, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है फायदे का सौदा
ये भी देखें : सर्दियों के मौसम में करें छुहारों का सेवन, इन बीमारियों से मिलेगा छुटकारा
निजी कंपनियां दे रही हैं किसानों को प्रशिक्षण
किसानों ने निजी कंपनियों के साथ मिलकर आलू की खेती शुरू की है। आलू की फसल से किसानों को मुनाफा तो हो ही रहा है साथ ही गांव को पराली मुक्त करने में भी यह कारगर साबित हो रहा है। गांव को पराली मुक्त कराने में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा भी कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं। उनके द्वारा किसानों को गेहूं की सीधी बिजाई के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।
पराली का उपयोग करके गांव के दो किसान रमनदीप सिंह व गुरबिंदर सिंह हनी पिछले दो सालों से आलू की खेती कर रहे हैं। वे पराली को खाद के तौर पर काम में ले रहे हैं।
ये भी देखें : ‘कृषि से संपन्नता योजना’ हींग और केसर की खेती करने के लिए किसानों को मिलेगी आर्थिक सहायता
ये भी देखें : इस तरीके से भिंडी की खेती करके कमाएं अच्छा मुनाफा, पढ़े विस्तार से
इन्होंने पिछले तीन वर्षों से पराली नहीं जलाई और दो सालों से पराली का उपयोग कर आलू की खेती कर रहे हैं। इनका बताना है कि सीधी बिजाई के लिए उन्होंने केवीके खेड़ी से हैपीसीडर चलाने की ट्रेनिंग भी ली है। इससे पहले वे पराली का उपयोग कर गेहूं की बिजाई कर रहे थे। इससे उन्हें अच्छी पैदावार मिली, तो वे आलू की खेती करने लगे। बेहतर खेती के लिए वे पराली को मल्चर, पलटावे हेल और रोटावेटर आदि की मदद से मिट्टी में मिला रहे हैं। इसके बाद ही वे आलू की बिजाई करते हैं।
पराली का करें खाद की तरह इस्तेमाल
किसानों का मानना है कि मिट्टी में जब पराली को मिलाया जाता है, तभी आलू की बेहतर फसल मिलती है। आलू की फसल के लिए मिट्टी का कठोर होना आवश्यक है ताकि पराली आसानी से अपना असर दिखा सके। वे बताते हैं कि इससे उनके खेत में आलू का उत्पादन प्रति एकड़ 70-80 क्विंटल तक हो जाता है। जो कंपनियां चिप्स या आलू से बनने वाले अन्य प्रॉडक्ट बनाने के लिए उनसे आलू खरीदती हैं वे किसानों को बीज ट्यूबर द्वारा तैयार करके देती हैं।
इतना ही नहीं समय-समय पर कंपनी आलू की फसल का जायजा भी लेती रहती है। तीन महीनों बाद जब आलू की फसल तैयार हो जाती है, तब किसान उसकी खुदाई करते हैं। इसके बाद कंपनी खुद आलुओं को पैक करके ले जाती है। अगली फसल की बिजाई 25 अक्टूबर के करीब फिर से शुरू कर दी जाती है। किसान खेती को और बेहतर तरीके से कर सकें, इसके लिए उन्हें केवीके द्वारा कई प्रकार की ट्रेनिंग भी दी जाती है।