Natural Farming: फ़सल के दुश्मनों का सर्वनाश करते हैं ये ‘ब्रह्मास्त्र’, जानिए इनके बारें में

प्राकृतिक या जैविक तरीके से खेती कर रहे किसानों को इन अस्त्रों के बारे में जानकारी होगी, लेकिन कइयों को इसके बारे में शायद ही पता हो। इन तीन अस्त्रों पर राजस्थान के प्रगतिशील किसान रावलचंद पंचारिया ने किसान ऑफ़ इंडिया से विस्तार में बात की। 

ब्रह्मास्त्र जैविक कीटनाशक

बॉलीवुड गलियारों में इन दिनों फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ के मोशन पोस्टर की चर्चा है। ब्रह्मास्त्र एक तरह का अस्त्र है, जिसकी उत्पत्ति ब्रह्मदेव द्वारा मानी जाती है। फिल्म का कॉन्सेप्ट इसी ब्रह्मास्त्र पर आधारित बताया जा रहा है। ये तो बात हुई फिल्म ब्रह्मास्त्र की, लेकिन क्या आप प्राकृतिक या जैविक खेती के ‘ब्रह्मास्त्र’ के बारे में जानते हैं? जी हाँ, आज हम आपको बताएंगे खेती में कीटों का सर्वनाश करने वाले तीन अस्त्रों के बारे में। इनके इस्तेमाल से आपको बेहतर उपज तो मिलेगी ही, फसल की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी।

किसान ऑफ़  इंडिया ने राजस्थान के प्रगतिशील किसान रावलचंद पंचारिया से बात की। उन्होंने बताया कि खेती के इन तीन अस्त्रों से उन्हें फसल की अच्छी पैदावार और कीटों से बचाव में काफ़ी फ़ायदा हो रहा है। आइये जानते हैं रावलचंद कैसे बनाते हैं खेती के ये तीन महत्वपूर्ण अस्त्र।

Natural Farming: फ़सल के दुश्मनों का सर्वनाश करते हैं ये ‘ब्रह्मास्त्र’, जानिए इनके बारें में
राजस्थान के प्रगतिशील जैविक किसान रावलचंद पंचारिया खुद बनाते हैं जैविक कीटनाशक

Natural Farming: फ़सल के दुश्मनों का सर्वनाश करते हैं ये ‘ब्रह्मास्त्र’, जानिए इनके बारें में

ब्रह्मास्त्र बनाने का तरीका (How to make Brahmastra) 

फसलों पर कीट से बचाव के लिए ब्रह्मास्त्र बहुत फ़ायदेमंद होता है। ये बड़ी सूंडी इल्लियाें और अन्य कई तरह के कीटों पर नियंत्रण के लिए काम आता है।

ब्रह्मास्त्र बनाने की सामग्री: 

  • 10 लीटर गोमूत्र
  • 3 किलोग्राम नीम की पत्ती
  • 2 किलोग्राम करंज की पत्ती
  • 2 किलोग्राम सीताफल की पत्ती
  • 2 किलोग्राम बेल के पत्ते
  • 2 किलोग्राम अरंडी की पत्ती
  • 2 किलोग्राम धतूरा के पत्ते

ब्रह्मास्त्र को बनाने के लिए ऊपर दी गई सामग्रियों में से कोई भी पांच सामग्रियों का चयन करें। सभी पत्तियों को एक साथ अच्छे से पीस लें। इस मिश्रण को मिट्टी के बर्तन में डाल कर 20 लीटर पानी मिलाकर उबाल लें। जब चार उबाल आ जाए तो इसे उतारकर दो से तीन दिन छाया में ठंडा होने के लिए रख दें। इसके बाद इसमें गौमूत्र मिलायें और कपड़े से छानकर मिट्टी के बर्तन में स्टोर करने के लिए रख दें। इसे धूप से बचाना ज़रूरी है।

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रावलचंद ने बताया कि इस ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल छह महीने तक कर सकते हैं। एक एकड़ ज़मीन के लिए 200 लीटर पानी में 7 से 10 लीटर ब्रह्मास्त्र मिला कर छिड़काव करना चाहिए।

Natural Farming: फ़सल के दुश्मनों का सर्वनाश करते हैं ये ‘ब्रह्मास्त्र’, जानिए इनके बारें में
नीमास्त्र कैसे बनायें?

Natural Farming: फ़सल के दुश्मनों का सर्वनाश करते हैं ये ‘ब्रह्मास्त्र’, जानिए इनके बारें में

नीमास्त्र बनाने का तरीका (How to make Neemastra)

नीमास्त्र का रस चूसने वाले कीट (Nymph-Sucking insects) और छोटी सूंडी (Larva) के नियंत्रण के लिए होता है।

नीमास्त्र की सामग्री: 

  • 20 लीटर गौमूत्र
  • 1 किलोग्राम गाय का गोबर
  • 3 किलोग्राम नीम की पत्ती
  • 2.5 किलोग्राम धतूरे के पत्ते
  • 2.5 किलोग्राम आक के पत्ते

नीमास्त्र को बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में नीम, धतूरे और आक की पत्तियों की चटनी बना लें। इसके बाद मिश्रण को पानी में उबालें। चार उबाल आने के बाद इसे 2 से 3 दिन ठंडा होने के लिए रख दें। इसके बाद इसमें गौमूत्र और गाय का गोबर डालकर अच्छे से मिला लें। फिर 2 से 3 दिन के लिए जालीदार कपड़े से ढक दें।

नीमास्त्र का प्रयोग छह महीने तक कर सकते है। रावलचंद पंचारिया ने बताया कि एक एकड़ ज़मीन के लिए 200 लीटर पानी में 7 से 10 लीटर नीमास्त्र मिलाकर छिड़काव उपयुक्त है।

अग्नि अस्त्र कैसे बनायें?
अग्नि अस्त्र कैसे बनायें? तस्वीर साभार: Narendra Modi

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अग्नि अस्त्र बनाने का तरीका (How to make Agni Astra)

अग्नि अस्त्र का उपयोग तना कीट फलों में होने वाली सूंडी और इल्ली के प्रकोप से बचाने के लिए किया जाता है।

अग्नि अस्त्र बनाने की सामग्री: 

  • 20 लीटर गौमूत्र
  • 5 किलोग्राम नीम की पत्ती
  • आधा किलोग्राम तम्बाकू पाउडर
  • आधा किलोग्राम हरी तीखी मिर्च
  • आधा किलोग्राम लहसुन

अग्नि अस्त्र को बनाने के लिए ऊपर दी गईं सभी सामग्रियों को मिट्टी के बर्तन में 20 लीटर पानी डालकर आग में उबालें। चार उबाल आ जाए तो इसे दो से तीन दिन ठंडा होने के लिए रख दें। हर 12 घंटे के अंतराल में इसे मिलाते रहें। इसके बाद गौमूत्र मिलाकर मिश्रण को छाया में रख दें।

रावलचंद ने बताया कि अग्नि अस्त्र का प्रयोग तीन महीने तक कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ ज़मीन के लिए 200 लीटर पानी में 5 से 6 लीटर अग्नि अस्त्र मिला कर छिड़काव करना चाहिए।

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रावलचंद बताते हैं कि रासायनिक कीटनाशक (Chemical Insecticide) जहां दुश्मन कीट (Enemy Insects) के साथ-साथ मित्र कीटों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। खेती के ये तीन अस्त्रों से मित्र कीटों (Friendly Insects) को नुकसान नहीं होता।

रावलचंद ने बताया कि इन अस्त्रों का प्रयोग सिंचाई के बाद शाम को 4 बजे के बाद करना चाहिए क्योंकि उस समय फ़सल पर मित्र कीट नहीं रहते। इन सभी का इस्तेमाल बारी-बारी से सप्ताह में एक बार करना चाहिए। पहले हफ़्ते ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अगले हफ़्ते नीमास्त्र और फिर उसके बाद अग्नि अस्त्र का इस्तेमाल करना चाहिए।

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