Poultry Management : गोवा के किसान ने कैसे की पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई, पढ़ें उनकी सफलता की कहानी

गोवा के अरम्बोल गांव में रहने वाले सबाहत उल्ला खान पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई  (Earning from Poultry Management) करके अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं।

पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई Earning from Poultry Management

पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई (Poultry Management) : आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने पोल्ट्री फ़ार्म को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। अपने दृढ़ संकल्प और नई तकनीकों के ज़रीये से न केवल अपनी आय बढ़ाई, बल्कि पोल्ट्री उद्योग में एक मिसाल भी क़ायम की है।

गोवा के अरम्बोल गांव में रहने वाले सबाहत उल्ला खान ने एक बकरी और मुर्गी पालन फ़ार्म शुरू किया। हालांकि शुरुआत में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। समस्याओं में जैसे- चूजों की मौत होना, कम उत्पादन होना और मुर्गी पालन की सही जानकारी की कमी होना वगैरह शामिल था। इन सभी परेशानियों के समाधान के लिए उन्होंने ICAR-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा से मदद मांगी।

गोवा के ICAR-CCARI से सीखा तरीका (Help taken from ICAR-CCARI)

सबाहत खान का पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई (Earning from Poultry Management) करने का सफ़र अभी थोड़ा दूर था। उन्होंने ICAR-CCARI, गोवा में 6 दिन की ट्रेनिंग लिया। वहां उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से मुर्गी पालन, अच्छे चूजे पैदा करने, सस्ते में मुर्गियों को खिलाने वाला आहार और बीमारियों से बचाव के तरीकों के बारे में सीखा। वहां से सीखने के बाद उन्होंने श्रीनिधि, ग्रामप्रिया और वनराज जैसी अच्छी नस्ल की मुर्गियां पालीं। 

सबाहत उल्ला खान की पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई (Sabahat Ullah Khan Earning from Poultry Management)  

ट्रेनिंग के बाद, उनके फ़ार्म पर चूजों की मौत दर 25 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई और मुर्गियों का वजन भी बढ़ने लगा। सबाहत खान ने अपने कारोबार को बढ़ाते हुए जापानी बटेर, बत्तख, टर्की और गिनी फाउल का पालन भी शुरू कर दिया।

इसके अलावा, सबाहत खान ने अंडे सेने (हैचरी) का काम भी शुरू किया। उन्होंने चूजे, बटेर और बत्तख के बच्चे पैदा करके बेचना शुरू किया, जिसमें 50,000 से ज्यादा बटेर के चूजे बेचने में उन्हें कामयाबी हासिल हुई।

इन सभी प्रयासों के फलस्वरूप, उनके फ़ार्म की कमाई में 30 फीसदी की वृद्धि हुई। मुर्गी का मांस काटकर बेचने से 15 फीसदी अतिरिक्त आय प्राप्त हुई। कुल मिलाकर, अंडे और मुर्गियों को बेचकर सबाहत खान ने साल में 2,50,000 रुपये की शुद्ध आय अर्जित की। इस सफलता से उत्साहित होकर, सबाहत खान अब अपने कारोबार को और बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

उनकी कहानी से हमें सीखना चाहिए  (We should learn from his story)

सबाहत खान की कहानी हमें सिखाती है कि कड़ी मेहनत, नई तकनीकों को अपनाने और कारोबार में विविधता लाने से कैसे सफलता मिल सकती है। उनकी कहानी अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि चुनौतियों के सामने कभी हार न मानें।

“मुश्किलें आती हैं तो हमें मजबूत बनाने के लिए, हमें हराने के लिए नहीं।”

इस बात को सबाहत खान ने अपने जीवन में साकार किया है। उन्होंने न केवल अपने कारोबार को सफल बनाया, बल्कि अपने इलाके में रोज़गार के अवसर भी पैदा किए।

सबाहत उल्ला खान ने दिया रोजगार (Sabahat Ullah Khan provided employment)

सबाहत खान ने पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई  (Earning from Poultry Management) करके अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया है। उनके फ़ार्म से उत्पादित गुणवत्तापूर्ण मांस और अंडे स्थानीय बाजारों में उपलब्ध हुए, जो लोगों को पोषक आहार प्रदान कर रहे हैं।

“जब एक किसान सफल होता है, तो पूरा गांव समृद्ध होता है।”

ये कहावत सबाहत खान के मामले में सच साबित हुई है। उनकी सफलता ने दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया है, जिससे पूरे क्षेत्र में कृषि क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा मिला है।

उनकी भविष्य की योजनाएं (His Future Plans)

अपनी सफलता से संतुष्ट होकर, सबाहत खान भविष्य के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं बना रहे हैं। वे अपने फ़ार्म का और बढ़ाने के साथ-साथ, अन्य किसानों को प्रशिक्षित करने की भी योजना बना रहे हैं।

“ज्ञान बांटने से बढ़ता है, अपने तक सीमित रखने से घटता है।”

इस सिद्धांत को अपनाते हुए, सबाहत खान अब अपने अनुभव और ज्ञान को अन्य किसानों के साथ साझा करने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि पूरा समुदाय लाभान्वित हो सके।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 

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