Maize Cultivation Methods: जानिए मक्का की खेती के तरीके

वैज्ञानिकों ने मक्का की खेती के कई नए तरीके खोजे हैं जिनसे कम मेहनत में ज़्यादा फ़सल मिल सकती है और इन नए तरीकों से किसान कम ख़र्च में ज़्यादा मक्का उगा सकते हैं।

मक्का की खेती के तरीके Maize Cultivation Methods

मक्का की खेती के तरीके (Maize Cultivation Methods) : मक्का भारत की एक बहुत महत्वपूर्ण फ़सल है। चावल और गेहूं के बाद, ये देश में सबसे ज़्यादा खाया जाने वाला अनाज है। हर 100 किलो अनाज में 10 किलो मक्का होता है। मक्का को ‘सुपरफूड’ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट काफी ज़्यादा पाया जाता हैं। इससे कई चीजें बनती हैं जैसे पॉपकॉर्न, आटा, कॉर्न फ्लेक्स, और भुट्टा समेत और  भी चीजें। मक्का से गाड़ियों का ईंधन भी बनता है और जानवरों को खिलाने में भी इसका इस्तेमाल होता है। ज़्यादातर मक्का बरसात के मौसम में उगाई जाती है। इस मौसम में कुल मक्का का 75 प्रतिशत पैदा होता है।

विश्व के कुल मक्का उत्पादन में भारत का 3 फीसदी योगदान है। अमेरिका, चीन, ब्राजील और मैक्सिको के बाद भारत का पांचवा स्थान है। सभी खाद्यान्न फ़सलों की तरह मक्का भी भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में उगाया जाता है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मु एवं कश्मीर तथा उत्तर पूर्वी राज्यों में मक्का मुख्यतया उगायी जाती है।

मक्का की खेती भारत के किसानों और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि मक्का की खेती कैसे की जाती है और मक्का की खेती के तरीके (Maize Cultivation Methods) कौन-कौन से हैं जिनसे अच्छी पैदावार हो सकती है।

मक्का की खेती के तरीके जो आने वाले वक़्त के लिए कारगर हैं (Maize Cultivation Methods that are effective for the future)

आज के समय में खेती की चुनौतियां बदल गई हैं। 2030 तक हमें 300 मिलियन टन अनाज की ज़रूरत होगी। इसलिए हमें ज़्यादा मक्का उगानी होगी। लेकिन खेती की ज़मीन बढ़ाना मुश्किल है। तो हमें मक्के की पैदावार बढ़ानी होगी। पिछले कुछ सालों में मक्के की पैदावार बढ़ी है। इसकी वज़ह है अच्छी क़िस्म के बीज और बेहतर खेती के तरीके। वैज्ञानिकों ने कई नए तरीके खोजे हैं जिनसे कम मेहनत में ज़्यादा फ़सल मिल सकती है। इन नए तरीकों से किसान कम ख़र्च में ज़्यादा मक्का उगा सकते हैं। साथ ही मक्के की गुणवत्ता भी अच्छी होगी जो बाज़ार में अच्छी क़ीमत पा सकेगी। आइए इन नए तरीकों के बारे में और जानें:

1. जीरो टिलेज या ज़ीरो कल्टीवेशन तकनीक (Zero tillage or zero-cultivation technique)

मक्का की खेती के इस तरीके में पिछली फ़सल काटने के बाद बिना खेत जोते सीधे मशीन से मक्का बोई जाती है। इसमें:

– खेत जोतने की ज़रूरत नहीं होती है।
– खाद और बीज एक साथ डाले जा सकते हैं।
– इस तकनीक से चिकनी मिट्टी के अलावा दूसरे सभी प्रकार की मृदाओं में मक्का की खेती की जा सकती है।

फ़ायदे:
– ईंधन और समय की 60-70% बचत होती है।
– कम प्रदूषण होता है।
– खरपतवार कम उगते हैं।
– हर हेक्टेयर में 2000-2500 रुपये की बचत होती है।
– जल्दी बुवाई करके अच्छी फ़सल ली जा सकती है।

2. फर्ब तकनीक से बुवाई (Sowing using furrow technique)

मक्का की खेती का ये तरीक़ा आम तरीके से अलग है:

– इसमें ट्रैक्टर से चलने वाली ख़ास मशीन रीपर-कम ड्रिल का इस्तेमाल होता है।
– मेंडो पर एक लाइन में मक्का बोई जाती है

फ़ायदे:
– पानी और खाद की बचत होती है।
– पैदावार अच्छी रहती है।
– बीज उगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

इन नए तरीकों से किसान भाई कम ख़र्च में अच्छी क्वालिटी का मक्का उगा सकते हैं।

मक्का की खेती के लिए ज़मीन का चयन और तैयारी (Selection and preparation of land for maize cultivation)

मक्का की खेती के लिए सही ज़मीन चुनना और उसे तैयार करना बहुत ज़रूरी है। अच्छी बात ये है कि मक्का कई तरह की मिट्टी में उग सकता है। सबसे अच्छी मिट्टी वे होती है जो बलुई मटियार या दोमट हो, जिसमें हवा और पानी आसानी से आ-जा सकें। मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए, यानी न ज़्यादा अम्लीय और न ही ज़्यादा क्षारीय। अगर ज़मीन में नमक की समस्या है, तो मक्का को मेड़ के ऊपर नहीं, बल्कि बगल में बोना चाहिए ताकि जड़ें नमक से बच सकें।

खेत तैयार करने का काम जून के दूसरे हफ़्ते में शुरू कर देना चाहिए। खरीफ़ की फ़सल के लिए, मिट्टी पलटने वाले हल से 15-20 सेंटीमीटर गहरी जुताई करनी चाहिए। अगर गर्मियों में खेत खाली है, तो उस समय जुताई करना फ़ायदेमंद रहता है। इससे खरपतवार, कीड़े और बीमारियों से बचाव में मदद मिलती है। मिट्टी की नमी बचाने के लिए, जल्दी से जुताई करके तुरंत पाटा लगा देना अच्छा रहता है। जुताई का मुख्य मकसद मिट्टी को भुरभुरी बनाना है।

अगर किसान भाई नए तरीके जैसे शून्य जुताई नहीं अपना रहे हैं, तो कल्टीवेटर और डिस्क हैरो से बार-बार जुताई करके खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें। अगर हो सके तो संसाधन प्रबंधन (Resource Management) तकनीक का इस्तेमाल करें। इन सब बातों का ध्यान रखकर, किसान भाई अच्छी मक्का की फ़सल के लिए अपना खेत तैयार कर सकते हैं।

मक्का की खेती की बुवाई की विधि (Sowing method of maize cultivation)

मक्का की बुवाई का तरीक़ा बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे अच्छा है कि मक्का को मेड़ों पर बोया जाए। इससे पौधों की जड़ों को ठीक मात्रा में नमी मिलती रहती है और पानी भरने से होने वाले नुक़सान से भी बचाव होता है। बुवाई करते समय ध्यान रखें कि मेड़ें पूरब से पश्चिम की तरफ़ हों और मक्का को मेड़ की दक्षिणी यानी दाहिनी तरफ़ बोया जाए।

आजकल किसान भाइयों के लिए कई तरह के बीज बोने वाले यंत्र या प्लांटर मिलते हैं। इनमें से टेढ़ी प्लेट, कपिंग या रोलर वाले सीड मीटरिंग सिस्टम सबसे अच्छे माने जाते हैं। प्लांटर का इस्तेमाल करना फ़ायदेमंद है क्योंकि इससे एक ही बार में बीज और खाद दोनों सही जगह पर डाले जा सकते हैं। अगर आप मक्का को चारे के लिए उगा रहे हैं, तो सीड ड्रिल से बुवाई करनी चाहिए।

जब आप मेड़ों पर बुवाई कर रहे हों, तो पीछे की तरफ़ चलते हुए बीज बोएं। इस तरह से बोने से बीज सही गहराई पर और एक समान दूरी पर पड़ेंगे। याद रखें, सही तरीके से बुवाई करना अच्छी फ़सल का पहला कदम है। इन बातों का ध्यान रखकर, आप मक्का की अच्छी और स्वस्थ फ़सल उगा सकते हैं।

मेड़ (रिज) पर मक्का बोने के फ़ायदे (Advantages of sowing maize on ridges)

1. कम ख़र्चा: बीज, खाद और पानी की बचत होती है।

2. सस्ती खेती: खेती की लागत कम हो जाती है।

3. मज़बूत फ़सल: मक्का के पौधे गिरते नहीं और ज़्यादा पैदावार देते हैं।

4. ख़राब ज़मीन में भी अच्छी पैदावार: नमकीन या ख़राब मिट्टी में भी अच्छी फ़सल होती है।

5. पानी का बेहतर इस्तेमाल: नालियों से सिंचाई होती है और बारिश का ज़्यादा पानी भी निकल जाता है।

6. आसान देखभाल: छोटे पौधों की निराई-गुड़ाई मशीन से की जा सकती है।

7. खरपतवार हटाना आसान: बेकार पौधे आसानी से निकाले जा सकते हैं।

एक ख़ास बात: मक्का को पूरब-पश्चिम की मेड़ के उत्तरी हिस्से में बोना चाहिए। इससे नमक और क्षार की समस्या कम होती है। क्योंकि सूरज की धूप सीधे मिट्टी पर नहीं पड़ती और क्षार धूप वाली तरफ़ ही ज़्यादा जमा होता है।

इस तरह से मक्का बोने से किसान भाई कम मेहनत और कम ख़र्च में अच्छी फ़सल ले सकते हैं।

ये भी पढ़ें: मक्के की खेती से जुड़ी अहम जानकारी 

मक्का की खेती (Maize Cultivation) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल 1:  मक्के की फ़सल को पानी कैसे देना चाहिए?

जवाब: – मक्के को पूरी फ़सल में 400-600 मिलीमीटर पानी चाहिए।
– फूल आने और दाने बनने के समय पानी देना बहुत ज़रूरी है।
– गर्मियों में हर 10-15 दिन में पानी देना चाहिए।
– पूरी फ़सल में 8-10 बार पानी देना पड़ता है।

सवाल 2: मक्के की फ़सल कब काटनी चाहिए?

जवाब: – देसी मक्का: बोने के 75-85 दिन बाद
– हाइब्रिड मक्का: बोने के 90-115 दिन बाद
– जब दानों में 25% नमी हो, तब काटना सबसे अच्छा होता है।

सवाल 3:  मक्के में कौन-कौन से पोषक तत्व होते हैं?

जवाब: मक्के में ये चीजें होती हैं:
– फाइबर
– आयरन
– पोटैशियम
– फेरुलिक एसिड
– विटामिन ए (जो शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है।)

सवाल 4: मक्के की खेती के लिए कैसा मौसम चाहिए?

जवाब: – मक्का गर्म और ठंडे दोनों जगहों पर उग सकता है पर गर्म जगहों पर ज़्यादा अच्छा होता है।
– शुरू में पौधों को बढ़ने के लिए नमी चाहिए होती है।
– 18 से 23 डिग्री तापमान पौधों के बढ़ने के लिए अच्छा है।
– 28 डिग्री तापमान सबसे अच्छा माना जाता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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