नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलाव

आशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।

कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती

आशुतोष प्रताप सिंह का परिचय (Introduction)

आशुतोष प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश के गवां के निवासी हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा और करियर की शुरुआत भारत की प्रमुख कंपनियों में सेल्स और मार्केटिंग के क्षेत्र से की। 17 वर्षों तक देश के 8 राज्यों में काम करने के बाद, 2018 में उन्होंने सीनीयर मैनेजर के पद को छोड़कर अपने गांव लौटने का निर्णय लिया। 

उनके गांव के पास गंगा नदी और उपजाऊ ज़मीन होने के कारण उन्होंने कृषि को व्यवसायिक रूप देने की सोची। उनके परिवार का भी खेती से गहरा नाता था, जो उन्हें इस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित करता था। आशुतोष ने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक को अपनाने का फ़ैसला किया, ताकि न केवल अपने जीवन को सुधार सकें, बल्कि आसपास के किसानों के लिए भी एक मिसाल बन सकें।  

लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर शुरु की खेती (He left his job worth lakhs of rupees and started Farming)

आशुतोष सिंह बताते हैं कि उनके गांव के पास गंगा नदी बहती है, जहां की उपजाऊ ज़मीन और पानी की भरपूर उपलब्धता ने उन्हें खेती में एक नई दिशा दिखायी। इसके साथ ही दिल्ली की निकटता और वहां की बाज़ारों तक आसानी से पहुंचने की संभावना ने भी उन्हें कृषि क्षेत्र में उतरने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि कृषि में नई तकनीक का उपयोग करके अधिक लाभ कमाया जा सकता है।  

कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती

उनका परिवार पहले से पारंपरिक तरीके से खेती कर रहा था, और यह भी एक महत्वपूर्ण कारण था उनके खेती में रुचि लेने का। वह मानते थे कि अगर किसान पुराने तरीकों से ही खेती करते रहेंगे, तो उनकी आय में कोई ख़ास बदलाव नहीं आएगा। पारंपरिक खेती में सीमित संसाधन और कम उत्पादन होते हैं, जिससे किसानों को सही मूल्य नहीं मिल पाता। यही सोचकर उन्होंने कृषि में नई तकनीक को अपनाने का निर्णय लिया। इस बदलाव का उद्देश्य सिर्फ़ अपनी जिंदगी को बेहतर बनाना नहीं था, बल्कि आसपास के किसानों को भी यह समझाना था कि कृषि में नई तकनीक से बेहतर नतीजे और अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।  

फ़सलों में नई तकनीकों का इस्तेमाल (Use of new technologies in crops)

आशुतोष सिंह पिछले 6 वर्षों से खेती कर रहे हैं और उन्होंने कृषि में नई तकनीक को अपनाया है। उनका मानना है कि कृषि में नई तकनीक और वैज्ञानिक तरीके अपनाने से उत्पादन में सुधार हो सकता है और किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट, बायोएंजाइम, रिवर्स फ्लो, मल्टीलेयर्ड फार्मिंग और सहफ़सली खेती जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है। इन तकनीकों की मदद से वह अधिक उन्नत और प्रभावी तरीके से खेती कर रहे हैं। 

सहफ़सली खेती में, आशुतोष सिंह गन्ने के साथ मेंथा, प्याज, उड़द, गुलाब, गेंदा और अन्य फूलों की खेती करते हैं। यह तकनीक उन्हें न केवल अधिक पैदावार देती है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बनाए रखती है। इसके अलावा, वह फ़सलों की विविधता के कारण विभिन्न बाज़ारों में भी अपने उत्पादों को आसानी से बेच सकते हैं।  

कृषि में नई तकनीक अपनाने से ही उन्होंने 20 एकड़ ज़मीन पर विभिन्न प्रकार की फ़सलों की खेती की है। इसमें 5 एकड़ में सब्जियां उगाई जाती हैं, 1 एकड़ में नींबू की बगिया है, और आधे एकड़ में वर्मीकम्पोस्ट यूनिट स्थापित की गई है। इसके अलावा, 1 एकड़ में बागवानी, आधे एकड़ में गन्ने का सहफ़सली मॉडल, आधे एकड़ में नेपियर पशुचारा और जैविक प्रशिक्षण स्कूल भी मौजूद है। साथ ही, जैविक टॉनिक यूनिट भी उनकी खेती के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में काम कर रही है। 

इस विविधता से न केवल उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि यह उन्हें कृषि के विभिन्न पहलुओं को समझने का भी अवसर देता है।

फ़सलों के लिए दवा और खाद (Medicines and fertilizers for crops)

शुरुआत में आशुतोष सिंह ने अपनी फ़सलों के लिए मुख्य रूप से पशुओं से प्राप्त गोबर का उपयोग खाद के रूप में किया। यह एक पारंपरिक तरीका था, लेकिन समय के साथ उन्होंने खेती को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कृषि में नई तकनीक को अपनाने का फ़ैसला किया। इसके बाद, उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट बनाना शुरू किया, जो मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और फ़सलों की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हुआ। इसके साथ ही, उन्होंने वर्मिवॉश भी तैयार किया, जिसे वह अपनी फ़सलों में पौधों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और उनकी सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती

वर्मीकम्पोस्ट यूनिट स्थापित करने का विचार उनके मन में इंटरनेट पर कृषि से संबंधित जानकारी खोजने के बाद आया। उन्होंने इस विषय पर पूरी रिसर्च की और यह देखा कि जैविक खाद और प्राकृतिक विधियों से फ़सलों की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। इंटरनेट से मिली जानकारी ने उन्हें इस दिशा में और मदद की, और उन्होंने अपनी खेती में इन तकनीकों को अपनाया। अब वह अपनी फ़सलों में बायोएंजाइम, नीम और सहजन का टॉनिक जैसे जैविक उत्पादों का भी प्रयोग करते हैं, जो न केवल फ़सलों को पोषण देते हैं बल्कि उनकी सुरक्षा भी करते हैं। 

कृषि में अपनाई गई आधुनिक तकनीक (Modern technology adopted in Agriculture)

आशुतोष सिंह ने 2019 में SSRI मॉडल आधारित खेती की शुरुआत की, जो कृषि में नई तकनीक का एक अहम हिस्सा था। उसी साल, उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट यूनिट पर तुरई के शेड मॉडल विकसित किया और मल्टीलेयर्ड मॉडल के तहत बागवानी और सब्जियां उगाना शुरू किया। इसके बाद, 2020 में उन्होंने गन्ना सहफ़सली 8-6 मॉडल अपनाया, जो फ़सल विविधता और भूमि उपयोग में सुधार लाने वाला था।

2020 में ही उन्होंने बुलंद फार्मर्स जैविक स्कूल की स्थापना की और जैविक गुड़ का उत्पादन शुरू किया। साथ ही, नेपियर पशुचारा प्रबंधन भी अपनाया। 2021 में उन्होंने बुलंद फार्मर्स डेवलपमेंट ट्रस्ट की स्थापना की और 2023 में 1000 अति कुपोषित बच्चों को पोषण किट वितरित की।

2022 में, आशुतोष जी ने जैव रसायन उत्पादन इकाई शुरू की, और 2023 में गन्ने के रस और शुद्ध दूध से आइसक्रीम उत्पादन यूनिट की शुरुआत की। उसी साल, उन्होंने रजपुरा संभल प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड एफपीओ का गठन किया और 2024 में Peelz Factory Pvt Ltd की स्थापना की। इन पहलों से उन्होंने कृषि और प्रसंस्करण उद्योग को एक नई दिशा दी है।

आय और लाभ (Income and profit)

आशुतोष सिंह की आय इस प्रकार रही है:

2019-20 में – 6 लाख

2020-21 में – 12 लाख

2021-22 में – 8 लाख

2022-23 में – 15 लाख

2023-24 में – 25 लाख

आशुतोष सिंह बताते हैं कि खेती के अलावा उनके पास एक आइसक्रीम प्लांट भी है, जिससे वह कुल मिलाकर 25 लाख रुपये तक की सालाना आय प्राप्त करते हैं। 

सम्मान और पुरस्कार (Honours and Awards)

आशुतोष सिंह को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं, जैसे:

  • 2020 में जैविक गेहूं के लिए जनपद स्तरीय पुरस्कार
  • 2022 में जैविक खेती के लिए जनपद स्तरीय प्रथम पुरस्कार
  • 2023 में जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए जनपद स्तरीय प्रथम पुरस्कार
  • 2024 में कृषक विशिष्ट सम्मान, सरदार वल्लभ भाई कृषि विश्वविद्यालय मेरठ
  • 2024 में नव परिवर्तन (नवाचार) के लिए जनपद स्तरीय प्रथम पुरस्कार
  • 2024 में जापान दूतावास के प्रथम सचिव से जैविक खेती के लिए सम्मान
  • 2024 में उ़द्यान मंत्री श्री दिनेश प्रताप सिंह से नवाचार के लिए सम्मान

बाज़ार और मार्केटिंग (Market and Marketing)

आशुतोष सिंह अपनी खेती और उत्पादों का प्रमोशन मुख्य रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से करते हैं, ख़ासकर यूट्यूब और फेसबुक का उपयोग करते हुए। इन प्लेटफॉर्म्स पर वह अपने उत्पादों के बारे में जानकारी साझा करते हैं और लोगों से जुड़ने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा, वह विभिन्न कृषि मेलों में भी भाग लेकर अपने उत्पादों का प्रचार करते हैं, जिससे उन्हें सीधे किसानों और उपभोक्ताओं से प्रतिक्रिया मिलती है।

कृषि में नई तकनीक

आशुतोष सिंह का मानना है कि Vocal for Local (लोकल को प्रमोट करो) और इसलिए वह ख़ासतौर पर 25 किलोमीटर के दायरे में अपने उत्पादों की मार्केटिंग करते हैं। उनका मानना है कि नजदीकी बाज़ार में उत्पाद बेचने से उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को लेकर उपभोक्ता का विश्वास आसानी से बनता है। इस रणनीति ने उन्हें न केवल अच्छे व्यापारिक संबंध स्थापित करने में मदद की है, बल्कि इससे उन्हें बेहतर लाभ भी मिलता है।

कृषि में नई तकनीक को अपनाने से उनकी सफलता और प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, और उनका मानना है कि यही तरीका अन्य किसानों के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है।

समाज और कृषि क्षेत्र में किया गया कार्य (Work done in society and Agriculture Sector)

आशुतोष सिंह ने समाज के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जैसे:

  • 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गन्ना कृषक संवाद में मुरादाबाद मंडल का प्रतिनिधित्व किया।
  • 2020-21 में नमामि गंगे योजना के तहत मेरठ, हापुड़ और अलीगढ़ के किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया।
  • 2022 में HDFC बैंक की CSR योजना के तहत बुलंदशहर जिले के 15 गांवों में BPL महिला समूहों को जैविक खाद और जैविक सब्जी उगाने का प्रशिक्षण दिया।
  • 2023 में नाबार्ड द्वारा प्रायोजित अमरोहा जिले के गंगेश्वरी तहसील में 30 महिला समूहों को जैविक खेती और लघु उद्योग का प्रशिक्षण दिया।
  • 2024 में 1000 किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया।

आशुतोष सिंह ने कई अन्य गतिविधियों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया है, जैसे मास्टर ट्रेनर सर्टिफिकेट (NCOF), जैव रसायन उत्पादन की इकाई, और महिला समूहों के द्वारा उत्पादित सामान की मार्केटिंग। इन पहलुओं में भी कृषि में नई तकनीक का प्रभाव देखा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने लगातार किसानों को इन नवीनतम तरीकों के बारे में शिक्षा दी है।  

किसानों के लिए उनका सुझाव (His advice to farmers)

आशुतोष सिंह का मानना है कि खेती में युवाओं का शामिल होना बहुत ज़रूरी है। उनका कहना है कि आजकल के युवाओं के पास नई तकनीकों और जानकारी का अच्छा भंडार है, जिसे वह खेती में लागू करके अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। वह बताते हैं कि नौकरी के मुकाबले खेती से अधिक लाभ और आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है। युवाओं को चाहिए कि वे गांव वापस आकर कृषि में नई तकनीक का उपयोग करें और पारंपरिक तरीकों से हटकर ज्यादा आय प्राप्त करने के रास्ते तलाशें। इस तरह, वे न केवल अपनी बल्कि पूरे गांव की आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।

भविष्य की योजनाएं (Future Plans)

आशुतोष सिंह का मुख्य उद्देश्य किसानों की लागत को कम करके उनकी आय में वृद्धि करना है। उनका मानना है कि यदि किसान अपनी लागत कम कर पाते हैं, तो उनकी कुल आय में बड़ा फ़र्क़ पड़ सकता है। इसके साथ ही, उनका यह भी प्लान है कि वह खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से अपने उत्पादों को अधिक से अधिक दूर तक पहुंचाएं, ताकि किसानों को नए बाज़ार मिल सकें और वे अधिक मुनाफ़ा कमा सकें। इस प्रक्रिया के माध्यम से, वह किसानों को रोज़गार के अधिक अवसर प्रदान करना चाहते हैं, ताकि अधिक लोग कृषि क्षेत्र में शामिल होकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकें।

आशुतोष सिंह का विचार है कि कृषि में नई तकनीक को अपनाकर ही हम कृषि क्षेत्र में व्यावसायिकता और उच्च उत्पादकता हासिल कर सकते हैं। वह खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के जरिए फ़सलों से अधिकतम लाभ उठाने पर जोर देते हैं। इसके साथ ही, उनका एक और उद्देश्य है कि एक ऐसा संगठन स्थापित किया जाए जो कृषि उत्पादों की बिक्री और मार्केटिंग कर सके, ताकि किसान अपने उत्पादों को अच्छे दामों पर बेच सकें।

इसके साथ ही, वह एक ऐसा संगठन बनाना चाहते हैं, जहां किसान फ़सल उगाएं, महिला समूह खाद्य प्रसंस्करण करें और युवा वर्ग मार्केटिंग में शामिल हो, ताकि सभी को रोज़गार मिल सके और कृषि क्षेत्र में सामूहिक विकास हो। इसके अलावा, आशुतोष सिंह कृषि में नई तकनीक के माध्यम से जहर मुक्त खेती को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम कर रहे हैं, ताकि खेती के साथ-साथ पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों की रक्षा की जा सके।  

निष्कर्ष (Conclusion)

आशुतोष प्रताप सिंह की कहानी एक प्रेरणा है, जो यह साबित करती है कि कृषि में नई तकनीक को अपनाकर, पारंपरिक खेती को नया आयाम दिया जा सकता है। उन्होंने खेती को न केवल एक व्यवसाय के रूप में देखा, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने, रोज़गार सृजन और पर्यावरण को बचाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

उनकी मेहनत और नवाचारों ने न केवल उनके खुद के जीवन को बेहतर किया, बल्कि वे दूसरों को भी कृषि क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि कृषि में नई तकनीक का सही दिशा में निवेश और सामूहिक प्रयास से कोई भी किसान अपनी स्थिति में सुधार कर सकता है।  

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

1 thought on “नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलाव”

  1. जय नारायण

    नमस्कार श्रीमान जी आपके जितने भी खेती के फार्मूले है वो ई मैल भेज सकते है क्या

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