जैविक खेती के तरीके: बागपत के इस किसान ने Multilayer Farming का बेहतरीन मॉडल अपनाया

विनीत चौहान ने 5 साल पहले बागवानी की शुरुआत की। वो पूरी तरह से जैविक खेती के तरीके (Organic Farming Techniques) अपनाते हुए ऑर्गेनिक उत्पादन लेते हैं।

organic farming techniques जैविक खेती के तरीके

सिर्फ़ पारंपरिक खेती से बढ़िया मुनाफ़ा नहीं कमाया जा सकता और आजकल के शिक्षित किसान इस बात को अच्छी तरह समझते हैं, तभी तो वो खेती में अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं। बागपत ज़िले के एक किसान भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले बागपत ज़िले के सिसाना गांव के लोग कृषि में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस गांव के युवा किसान विनीत चौहान मल्टीलेयर फ़ार्मिंग में मल्टी क्रॉपिंग तकनीक (Multi-Cropping Technique) के ज़रिए न सिर्फ़ एक से ज़्यादा फ़सल प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि उत्पादन भी बढ़िया होता है।

सबसे ख़ास बात ये है कि वो किसी भी तरह के यूरिया या रसायानिक खाद का इस्तेमाल न करके पूरी तरह से जैविक खेती के तरीके (Organic Farming Techniques) अपनाते हैं। कैसे मल्टीलेयर फ़ार्मिंग (Multilayer Farming) से विनीत कुमार अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं और बागवानी फसलों की खेती में किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है, इन सभी अहम मुद्दों पर उन्होंने चर्चा की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।

बागवानी में अपनाएं जैविक खेती के तरीके (Organic Farming Techniques)

विनीत बताते हैं कि उनका परिवार कृषि से ही जुड़ा है, उन्होंने स्नातक और एमबीए ज़रूर किया है, मगर उन्हें नौकरी नहीं खुद का काम करना था, इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न अपने ही खेत में कुछ नया किया जाए। फिर मैंने सोचा कि बागवानी की जाए। खेती ही की जाए। उन्होंने 5 साल पहले बागवानी की शुरुआत की। वो पूरी तरह से जैविक खेती के तरीके अपनाते हुए ऑर्गेनिक उत्पादन लेते हैं, जिसमें यूरिया या दूसरे केमिकल का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते हैं।

अमरूद की वैरायटी (Guava Varieties)

विनीत चौहान बताते हैं कि वो अमरूद की दो किस्में उगा रहे हैं थाई वीएनआर और ताइवान पिंक अमरूद। थाई वीएनआर बहुत ही अच्छी किस्म है। थाई अमरूद खाने में बहुत मुलायम और स्वादिष्ट होते हैं और इसमें बीज भी बहुत कम होता है। एक अमरूद का वज़न 800-900 ग्राम तक होता है। इतने बड़े साइज़ के अमरूद उगाने की वजह से विनीत चौहान अपने इलाके में काफ़ी मशहूर है और उन्हें बागवानी विभाग द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।

बागवानी में इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी ( Important Factors In Horticulture)

जो किसान बागवानी से अच्छी कमाई करना चाहते हैं उन्हें विनीत चौहान कुछ ज़रूरी बातें बताते हैं। जैसे कि पहले तो वो पंक्ति से पंक्ति और पौधों से पौधों के बीच की दूरी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि दूरी तय करने का कोई निश्चित फ़ॉर्मूला नहीं है। अगर कोई किसान सघन बागवानी करना चाहता है तो 6 से 8 फ़ीट की दूरी पौधों के बीच और पंक्तियों के बीच रखी जा सकती है। आप अगर अमरूद के पेड़ के नीचे दूसरी फ़सल भी उगाना चाहते हैं, तो ये दूरी 12 से 15 फ़ीट रखी जा सकती है।

सघन बागवानी में पौधों की हमेशा कटिंग करनी होती है, क्योंकि सूर्य का प्रकाश अंदर आना ज़रूरी है। एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि अमरूद के पौधों में जो फूल निकलते हैं वो उसी शाखा पर ज़्यादा होते हैं, जिसकी कटिंग की जाती है। कटिंग के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी होता है। इस समय कटिंग के बाद खाद वगैरह डाल देनी चाहिए। कटिंग के बाद उस शाखा पर बोडो मिक्सचर लगा देना चाहिए। इसे तैयार करना बहुत आसान है।

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बोर्डोे मिश्रण तैयार करने का तरीका (Preparation Bordeaux Mixture?)

बोर्डोे मिश्रण के लिए आपको दो चीज़ों की ज़रुरत होती है- नीला थोथा और अनबुझा चूना। इन दोनों को अलग-अलग प्लास्टिक की बाल्टी या डिब्बे में घोला जाता है। फिर दोनों को एक ही बर्तन में डालकर मिला लिया जाता है। मिश्रण सही बना है या नहीं, ये जांचने के लिए इस घोल में एक लोहे का टुकड़ा डाला जाता है। अगर ये तांबे के कलर का हो जाए तो समझिए कि मिश्रण सही नहीं है और इसमें थोड़ा चूना और मिलाया जाता है। कटिंग की हुई जगह के साथ ही इसका इस्तेमाल फंफूंद से बचने के लिए भी किया जाता है।

खेत की तैयारी (Land Preparation For Horticulture Crops)

चूंकि बाग में ट्रैक्टर से जुताई संभव नहीं है इसलिए विनीत पावर टिलर से खेत की जुताई करते हैं। वो बताते हैं कि जुताई के बाद वो खेत में वर्मीकम्पोस्ट, नीम की खाद का मिश्रण, नीम-अरंडी की खली, सीवीड फ़र्टिलाइज़र, ऑर्गेनिक प्रोम, ऑर्गेनिक मैन्यूर जैसे जैविक फ़र्टिलाइज़र (Organic Fertilizer) और जैविक खाद डालकर एक बार फिर से खेत की जुताई करते हैं ताकि वो मिट्टी में मिल जाए और पानी डालते हैं। इसके बाद खेत में मूंग की बुवाई की जाती है। मूंग की कटाई के बाद आगे भी उनकी योजना मल्टीक्रॉपिंग में दलहनी फ़सलों को उगाने की ही है। वो मसूर और अरहर की दाल भी लगाना चाहते हैं।

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बाग में पेड़ों की संख्या (Horticulture Crops In Orchard)

विनीत चौहान के बाग में अमरूद के साथ ही और भी कई फलों के पौधे हैं जिसके बारे में वो बताते हैं कि उनके पास 600 से 650 अमरूद के पेड़, 100-125 नींबू के पे़ड़, महोगनी (Mahogany), मालाबार नीम (Malabar Neem), एप्पल, एप्पल बेर, पीच आड़ू, बाबूगोशा के अलावा कुछ और दूसरे फल भी हैं। एक्सपेरिमेंट के लिए उन्होंने खजूर के पौधे भी लगाए हुए हैं। अगर ये सफ़ल रहा तो वो आगे खजूर की खेती करने की भी सोच रहे हैं।

फल मक्खी से बचाने के लिए फेरोमोन ट्रैप (Pheromone Trap For Pest Control)

फल मक्खी अमरूद की फसल को भारी नकुसान पहुंचा सकती है, इसलिए इससे बचाव बहुत ज़रूरी है। इसके लिए विनीत चौहान ने पेड़ पर पीले रंग के ढक्कन वाली एक बोतल लगाई हुई है जिसे फेरोमोन ट्रैप कहते हैं। इसके अंदर एक दवा लगी होती है जिससे फल मक्खी इसके अंदर जाकर बंद हो जाती है। 25-30 दिन तक इस दवा की महक बनी रहती है। इसलिए एक महीने बाद उसे बदल देना चाहिए।

कब लगाएं फेरोमोन ट्रैप? (When To Set Up Pheromone Traps)

किसानों को ये भी पता होना चाहिए कि फल मक्खियों से बचाव के लिए आखिर कब फेरोमोन ट्रैप लगाना ज़रूरी है। इस बारे में विनीत का कहना है कि जब अमरूद के पेड़ पर फूल से फल बनने लगे और फल का साइज़ थोड़ा बड़ा हो जाए तो उस समय ट्रैप लगा देना चाहिए। क्योंकि फल मक्खी कच्चे फल पर ही हमला कर देती है। इसलिए उसी समय ट्रैप लगाने से फल बच जाते हैं। फेरोमोन ट्रैप के साथ ही उन्होंने ट्राइको कार्ड है लगा रखे हैं जिस पर मच्छर, मक्खी आकर चिपक जाते हैं जिससे वो पौधों को खराब नहीं कर पाते हैं। अलग-अलग कीटों के लिए ब्लू और पीले दो तरह के ट्राइको कार्ड लगा रखे हैं।

कहां से ली ट्रेनिंग? (Benefit From Training & Schemes)

विनीत कहते हैं कि उन्हें बागवानी के बारे में कुछ पता नहीं था। कहां से प्लांट लेना है कैसे क्या करना है इस बारे में उन्होंने यूट्यूब और गूगल सर्च के ज़रिए जानकारी हासिल की। साथ ही बागवानी विभाग से सलाह लेकर काम शुरू किया। उनके बाग में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल होता है। इसके बारे में वो कहते हैं कि टपक विधि से सिंचाई में पानी कम खर्च होता है और टपक-टपक कर पानी सीधे पेड़ की जड़ में ही जाता है। इस पर सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जाती है।

बागवानी के साथ ही सब्ज़ियों की खेती (Vegetable Farming With Horticulture Crops)

विनीत चौहान बागवानी के साथ ही सब्ज़ियां भी उगाते हैं। उनके बाग में धनिया, खीरा, ककड़ी, लौकी आदि लगाई हुई है। उनका कहना है कि बाग में दोनों साइड नालियां बनाकर एक तरफ उन्होंने घिया, लौकी, तुरई, खीरा, खरबूज, तरबूज और दूसरी तरफ धनिया लगाया है, इन सब्ज़ियों को बेचकर भी उनकी अच्छी आमदनी हो जाती है।

सर्दियों में खेती का तरीका (Method Of Cultivation In Winter)

सर्दियों के मौसम में बीज जल्दी अंकुरित नहीं होते है, ऐसे में बीज को अंकुरित करने के लिए बीज को धोकर गर्म जगह पर रखा जाता है। विनीत कहते हैं कि क्योंकि कम तापमान में अंकुरण नहीं होता है, इसलिए बीज को घर के अंदर या पॉलीहाउस बनाकर या पुआल के अंदर भी डाला जा सकत। कुछ लोग पॉलीथीन में डालकर भी बीज अंकुरित कर लेते हैं। अगेती फसल लगाने के लिए नर्सरी सर्दियों में ही तैयार करनी होती है।

विनीत बताते हैं कि अमरूद का उत्पादन साल में दो बार लेते हैं। हालांकि कुछ किसान बरसात वाले फल को नहीं लेते है, क्योंकि इसमें हीट ज़्यादा होती है और फंगस का खतरा भी अधिक होता है। अगर बरसात वाला उत्पादन नहीं लिया जाए तो सर्दियों में उत्पादन अच्छा होगा और फल की क्वालिटी भी अच्छी रहेगी। हालांकि, वो खुद साल में दो उत्पादन लेते हैं और इस बारे में वो बताते हैं कि वो ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं और कीटों से बचाव के लिए ट्रैप लगाते हैं, इसलिए आराम से दो उत्पादन ले लेते हैं।

जैविक खेती और मल्टीलेयर फ़ार्मिंग पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: मल्टीलेयर फ़ार्मिंग क्या है और इसके क्या फ़ायदे हैं?

जवाब: मल्टीलेयर फ़ार्मिंग एक तकनीक है जिसमें एक ही खेत में विभिन्न स्तरों पर कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं। इसे बहुस्तरीय खेती भी कहा जाता है। इसके फ़ायदे हैं:

  • खेत की पूरी जगह का उपयोग होता है।
  • उत्पादन बढ़ता है।
  • मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
  • कीट और रोगों का खतरा कम होता है।

सवाल: जैविक खेती क्या है और इसके क्या लाभ हैं?

जवाब: जैविक खेती वो पद्धति है, जिसमें रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि जैविक खादों और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। फसलें और उत्पाद स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होते हैं। मिट्टी की गुणवत्ता और उर्वरता बनी रहती है। पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता।

सवाल: फेरोमोन ट्रैप क्या है?

जवाब: फेरोमोन ट्रैप एक कीटनाशक उपकरण है जिसमें एक विशेष दवा लगी होती है जिससे कीट इसके अंदर जाकर बंद हो जाते हैं।

सवाल: बोडो मिश्रण क्या है और इसे कैसे तैयार किया जाता है?

जवाब: बोडो मिश्रण एक फफूंदनाशक घोल है जिसे नीला थोथा और अनबुझा चूना मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका उपयोग पौधों की कटिंग के बाद संक्रमण से बचाने के लिए किया जाता है।

सवाल: मल्टी क्रॉपिंग तकनीक क्या है?

जवाब: मल्टी क्रॉपिंग तकनीक एक खेती की पद्धति है जिसमें एक ही खेत में एक ही समय में या विभिन्न समयों पर एक से अधिक फसलें उगाई जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य भूमि के अधिकतम उपयोग और फसल उत्पादन में विविधता लाना है।

सवाल: थाई वीएनआर क्या है?

जवाब: थाई वीएनआर एक विशेष प्रकार का अमरूद है जो थाईलैंड से प्राप्त होता है। इसकी विशेषता उसके मीठे स्वाद और अच्छी टेक्स्चर होती है। ये अमरूद बहुत रसीला और जूसी होता है। थाई वीएनआर अमरूद को सीधे खाया जा सकता है या तो उसका रस निकालकर जूस बनाया जा सकता है। इसे सलाद, चटनी, जाम या अन्य पकवानों में भी इस्तेमाल में लाया जाता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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