भारत में मछली पालन (Fish Farming In India): आर्थिक लाभ और टिकाऊ प्रबंधन की रणनीतियां

भारत में मछली पालन (Fish Farming In India) एक लाभकारी व्यवसाय है, जो किसानों और उद्यमियों को अच्छा मुनाफ़ा देता है। इसे लेकर कई सब्सिडी और योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।

भारत में मछली पालन fish farming in india

दुनिया भर में मछली बहुत पसंद की जाती है। भारत में क़रीब 60 फ़ीसदी लोग अपने खाने में मछली शामिल करते हैं। भारतीय बाज़ार में भी मछली की मांग लगातार बढ़ रही है लेकिन मछली पालक को लिए मछली पैदा करना आसान नहीं है। इसलिए, भारत में मछली पालन (Fish Farming In India) एक शानदार कारोबार बन गया है। बहुत से लोग फिश फार्मिंग बिजनेस शुरू करना चाहते हैं या इसे करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो मछली पालन से जुड़ी जानकारी आपके लिए बहुत अहम है।  हम आपके लिए भारत में मछली पालन से जुड़ी ज़रूरी जानकारी लेकर आए हैं।

भारत में मछली पालन शुरू करने की लागत (Fish Farming Setup Cost In India)

भारत में मछली पालन शुरू करने की लागत अलग-अलग हो सकती है। छोटे पैमाने पर मछली पालन से हर महीने 5000 से 10000 रुपये तक कमाया जा सकता है। आपके तालाब के साइज़ के हिसाब से, शुरुआत में 25,000 से 50,000 रुपये तक ख़र्च हो सकता है। लेकिन इससे आप एक एकड़ में 3 से 5 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। मछली की क़ीमत 100 से 160 रुपये प्रति किलो के बीच होती है। हालांकि, हर राज्य में क़ीमतें अलग-अलग हो सकती हैं। भारत में सबसे ज़्यादा मछली आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात, केरल, तमिलनाडु वगैरह राज्यों में पैदा होती हैं।

भारत में फिश फ़ार्म के प्रकार (Types Of Fish Farms In India)

भारत में मछली पालन (Fish Farming in india) दो तरह से किया जाता है:

1. मीठे पानी की मछली पालन: इसमें ऐसी मछलियां पाली जाती हैं जो मीठे पानी में रहती हैं। जैसे कतला, रोहू, मीठे पानी के झींगे, मीठे पानी के मोती, सजावटी मछलियां वगैरह।

2. खारे पानी की मछली पालन: इसमें वे मछलियां पाली जाती हैं जो समुद्र या खारे पानी में रहती हैं। जैसे ग्रे मुलेट (एक तरह की समुद्री मछली), टाइगर झींगा, मिट्टी के केकड़े वगैरह।

हर तरह की मछली पालन के लिए अलग-अलग तरीके और सावधानियां अपनानी पड़ती हैं। किसान अपने इलाके, संसाधनों और बाज़ार की मांग के हिसाब से इनमें से कोई एक या दोनों तरह की मछली पालन कर सकते हैं।

भारत में पालने के लिए सबसे अच्छी मछलियां (Best Fish For Farming In India)

भारत में मछली पालन (Fish Farming in india) के लिए कुछ मुख्य मछलियां इस प्रकार हैं –

सजावटी मछलियां : लोग अब घरों में एक्वेरियम रखना पसंद करते हैं। इसलिए सजावटी मछलियों की मांग बढ़ गई है। इनमें व्हाइट क्लाउड, गोल्डफिश, और गप्पी जैसी मछलियां लोगों को बहुत पसंद आती हैं।

कैटफ़िश मछली : कैटफ़िश मछली पालन किसानों को बहुत पसंद है। क्योंकि इन्हें पालना आसान है, खासकर गर्म जगहों में। आप इन्हें तालाब या टैंक में रख सकते हैं। बाज़ार में लोग इन्हें खूब खरीदते हैं। बस डेढ़ साल में ही आप इनसे पैसे कमाना शुरू कर सकते हैं।

तिलापिया मछली : तिलापिया मछली में ढेर सारा प्रोटीन होता है, ये बड़ी होती है और तेज़ी से बढ़ती है। 28 से 30 डिग्री के तापमान में यह अच्छी तरह पलती हैं।

कॉड मछली : कॉड मछली यूरोप और अमेरिका में बहुत बिकती है। इसे लोग दिन-ब-दिन ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। पर इस बात का ध्यान रखें, इसे बेचने से पहले 2-3 साल तक पालना पड़ता है।

ग्रास कार्प मछली : ग्रास कार्प मछली मीठे पानी में रहती है। इसे पालने के लिए बहता हुआ पानी चाहिए। ऐसा करने से ये ज़्यादा अंडे देती है।

ईल मछली : ईल मछली का शरीर सांप जैसा लंबा, चिपचिपा और फिसलने वाला होता है। चीन, जापान और ताइवान में इस मछली को सबसे ज़्यादा पाला और बेचा जाता है।

झींगा मछली : झींगा मछली को दुनिया भर में समुद्री भोजन के रूप में पसंद किया जाता है। इसलिए किसान इसे खूब पालते हैं।

सैल्मन मछली : सैल्मन लोकप्रिय मछली प्रजातियों में से एक है जिसे किसान पालना पसंद करते हैं। उनमें से सबसे मशहूर अटलांटिक साल्मन है।

टूना मछली : टूना समुद्री जल की मछलियां हैं। ये मांस खाती हैं। जापान में इन्हें बहुत पसंद किया जाता है। लेकिन इन्हें पालना थोड़ा मुश्किल होता है।

सिल्वर कार्प मछली : सिल्वर कार्प मछली पालना आसान है और इसमें ज़्यादा पैसे की भी जरूरत नहीं होती है। किसान इनके साथ-साथ मछलियों की दूसरी प्रजातियां भी पाल सकते हैं। ये 6 से 28 डिग्री तापमान में रह सकती हैं।

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मछली पालन के फ़ायदे (Advantages Of Fish Farming)

भारत में मछली पालन (Fish Farming in india) करना बेहद फ़ायदेमंद हो सकता है। क्योंकि भारत में बहुत से लोग रोज़ मछली खाते हैं। अब जब किसी चीज़ की मांग ज़्यादा हो और वो अच्छे दाम पर बिके, तो उससे अच्छी कमाई होती है। मछली की क़ीमत भी अच्छी मिलती है। तो, मछली पालने का सबसे बड़ा फ़ायदा है कि इससे अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं।

दूसरा फ़ायदा है कि भारत का मौसम मछली पालने के लिए बहुत अच्छा है। यहां की गर्मी और नमी मछलियों को बढ़ने में मदद करती है। मछली का फ़ार्म शुरू करना भी ज़्यादा मुश्किल काम नहीं है। बस ट्रेनिंग लेनी होती है, सही तरह की मछलियां चुननी होती हैं, और थोड़े पैसे लगाने होते हैं। आप अपने घर के लोगों के साथ मिलकर भी ये कारोबार कर सकते हैं। इस तरह, मछली पालन एक अच्छा और आसान कारोबार हो सकता है, जिससे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें:  बायोफ्लॉक मछली पालन शुरू करने के लिए किन चीज़ों की होती है ज़रूरत?

मछली पालन के लिए टिप्स (Fish Farming Tips)

भारत में मछली पालन शुरू करने से पहले इन मुख्य बातों का ध्यान रखें-

1. पानी का पीएच मान ठीक रखें: हर मछली के लिए अलग पीएच चाहिए होता है। ग़लत पीएच से मछलियां बीमार हो सकती हैं इसलिए पीएच ठीक करने के लिए एसिड या बेस डालें।

2. तालाब का ख्याल रखें:  पानी 5-6 फीट गहरा रखें और तापमान 28°C से 38°C के बीच रखें। साथ ही तालाब के आसपास पेड़ लगाने से ठंडक रहेगी।

3. पानी में ऑक्सीजन बढ़ाएं: ताजा पानी डालें या एरेटर का इस्तेमाल करें। ज़्यादा ऑक्सीजन से मछलियां तेज़ी से बढ़ती हैं।

4. अच्छी मिट्टी चुनें: तालाब में ऐसी मिट्टी होनी चाहिए जिसमें पानी को धारण करने की क्षमता अधिक हो और पानी में पोषक तत्व डालते रहें।

5. गर्मियों में ध्यान दें: शैवाल से पीएच बढ़ सकता है, अगर पानी हरा-भूरा या लाल हो जाए तो खाद न डालें।

6. तालाब की सफाई करें: समय-समय पर तालाब की तली साफ करें। क्योंकि नीचे जमी गैसें जहरीली हो सकती हैं।

7. मछलियों की बीमारी का ध्यान रखें: बीमार मछलियों को खाना न दें।

याद रखें, इन सुझावों से आपकी मछलियां स्वस्थ रहेंगी और अच्छी बढ़त करेंगी।

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मछली पालन में सफ़लता की कहानी (Success Story In Fish Farming)

भारत में उत्तराखंड के टिहरी ज़िले के पंचम सिंह भी करीब 5 सालों से सफलतापूवर्क रेनबो ट्राउट मछली का उत्पादन कर रहे हैं। रेनबो ट्राउट (Rainbow Trout Fish) एक विदेशी मछली है जिसका उत्पादन देश के पहाड़ी इलाकों में खूब किया जा रहा है और रेनबो ट्राउट मछली पालन यहां के लोगों के लिए स्वरोज़गार का अच्छा ज़रिया बन गया है। 

पंचम सिंह ने अपने इस सफ़र की शुरुआत के बारें में बताया कि साल 2013 से पहले धान, गेहूं, मटर, धनिया, अदरक सब चीज़ों की खेती होती थी, लेकिन 2013-14 में आई प्राकृतिक आपदा के बाद ज़मीन पत्थरीली हो गई, जिससे फसलें उगाना संभव नहीं था, तो पंचम सिंह ने आपदा को अवसर में बदलते हुए मत्स्य विभाग से मदद ली और उन्हें ट्राउट मछली पालन के लिए 40 फीसदी सब्सिडी मिल गई। जिसके बाद 2018-19 में उन्होंने ट्राउट मछली पालन का काम शुरू किया। आज मछली पालन के साथ ही उनके पास हैचरी भी है जहां वो मछलियों के बच्चे का भी उत्पादन करते हैं।

वहीं मिजोरम के इस युवा की कहानी सुनिए 28 वर्षीय सी लालमिंगथांगा के पास 2.5 एकड़ ज़मीन है। हालांकि, खेती की बजाय उनका परिवार मुख्य रूप से मछली पालन पर ही निर्भर है। पहले इससे उन्हें पर्याप्त आमदनी नहीं हो पाती थी। इसका कारण था मछली पालन के क्षेत्र में कौशल की कमी। तो, सी लालमिंगथांगा ने एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) ने फरवरी 2021 में ‘मछली पालन और प्रबंधन’ पर Skill Training for rural Youth (STRY) के तहत ये ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया था।

इससे उन्हें सजावटी मछली पालन की वैज्ञानिक तकनीकों के बारे में जानकारी मिली। वैज्ञानिक तकनीक से सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Farming) करने से सी लालमिंगथांगा को प्रति महीने 20 हज़ार रुपये की शुद्ध आय प्राप्त होती है। आज लालमिंगथांगा न सिर्फ़ अपना व्यवसाय आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि गांव के अन्य किसानों को भी वैज्ञानिक मछली पालन का महत्व समझाकर आगे बढ़ने में उनकी मदद कर रहे हैं। साथ ही वह इस क्षेत्र में आने के लिए युवाओं को प्रेरित भी कर रहे हैं।

मछली पालन से जुड़ी सब्सिडी और योजनाएं (Subsidies & Schemes Related To Fish Farming)

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत सरकार ने बैकयार्ड रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम के माध्यम से मछली पालन की योजना शुरू की है। इस योजना के तहत सरकार महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को 60 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसके अलावा, आम जनता के लिए भी योजना में प्रावधान है, जिसमें उन्हें 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत, आप घर में सीमेंटेड टैंक बनाकर मछली पालन कर सकते हैं।

मछली पालन के लिए घर के अंदर दो प्रमुख तरीके अपनाए जा सकते हैं। पहला तरीका है सीमेंटेड टैंक का उपयोग, और दूसरा तरीका प्लास्टिक टैंक का उपयोग। यदि आप सीमेंटेड टैंक बनाते हैं, तो वह ऐसा होना चाहिए जिसमें कम से कम 70 से 80 किलो मछली रखी जा सके। यदि आप प्लास्टिक टैंक का उपयोग करते हैं, तो टैंक में एक बार में 10 हजार सिंधी मछली के बीज डालें। इन मछलियों को बड़े होने में कम से कम चार महीने का समय लगेगा। एक टैंक में मछली पालन कर आप आसानी से 2 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं।

भारत में मछली पालन (Fish Farming in india) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल 1: क्या भारत में मछली पालन से अच्छी कमाई हो सकती है?

जवाब: जी हां, भारत में मछली पालन बहुत फ़ायदे का कारोबार है। यहां पांच तरह की मछलियां ऐसी हैं जिनसे अच्छी कमाई हो सकती है। मछली पालन से बहुत ज़्यादा मुनाफ़ा मिल सकता है।

सवाल 2: भारत में कौन सी मछली सबसे तेज़ बढ़ती है?

जवाब: कतला मछली सबसे तेज़ बढ़ती है। यह भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बर्मा और बांग्लादेश में पाई जाती है। यह मछली पानी की ऊपरी सतह पर रहती है और छोटे जीवों को खाती है।

सवाल 3: सजावटी मछली पालन से कितना पैसा कमाया जा सकता है?

जवाब: सजावटी मछली पालन छोटे या बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। अगर आप छोटा सा काम शुरू करना चाहते हैं, तो आपको शेड बनाने, मछलियों का खाना और ज़रूरी सामान खरीदने में 50-60 हजार रुपये लगेंगे। इससे आप हर महीने 3-5 हजार रुपये कमा सकते हैं।

सवाल 4:. मछली पालन के लिए जगह कैसे चुनें?

जवाब: मछली पालन शुरू करने के लिए ऐसी जगह चुनें जहां पानी आसानी से मिल सके। जैसे:

नदी के पास: मछली पालन के लिए नदी के पास स्थान चुनना पानी की निरंतर उपलब्धता और बेहतर जल गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। नदी का जल प्राकृतिक जीवाणु और कीट प्रदान करता है, जो मछलियों के आहार का एक हिस्सा बन सकते हैं।

तालाब के पास: तालाब के पास मछली पालन करने से प्राकृतिक जल स्रोतों की आसानी से पहुंच मिलती है, जिससे मछलियों को स्वच्छ जल मिलता है।

नहर के पास: नहर के पास स्थित स्थल पर मछली पालन से सिंचाई के लिए पर्याप्त जल की सुविधा मिलती है, जो मछली के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।

-पोखर के पास: पोखर एक प्राकृतिक या कृत्रिम जलाशय होता है, जो पानी का भंडारण करने के लिए बनाता है। इसे आमतौर पर छोटे तालाब के रूप में समझा जा सकता है, जिसमें स्थिर पानी होता है और जो आमतौर पर खेतों, गाँवों, या अन्य क्षेत्रों में जल संसाधन के रूप में उपयोग किया जाता है। प्राकृतिक पोखर का इस्तेमाल करने से इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत कम हो सकती है, क्योंकि आपको नया तालाब खोदने की ज़ रूरत नहीं होती।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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