Millet Business Ideas: FPO OTLO के मिलेट्स व्यवसाय से जुड़े 4 हज़ार किसान और महिलाओं को रोज़गार

बहुत से FPO और कंपनियां मिलेट्स व्यवसाय में उतरी हैं। प्रोसेसिंग कर मिलेट्स से ढेर सारी हेल्दी चीज़ें बना रही हैं, ऐसा ही एक FPO गुजरात के डांग ज़िले में काम कर रहा है।

Millet Business Ideas FPO OTLO के मिलेट्स व्यवसाय

मिलेट्स यानि मोटे अनाज को कच्चे रूप में अपने भोजन में शामिल करना शहरी आबादी के लिए मुश्किल है, इसलिए बहुत से FPO और कंपनियां मिलेट्स व्यवसाय (Millets Business) में उतरी हैं। प्रोसेसिंग कर मिलेट्स से ढेर सारी हेल्दी चीज़ें बना रही हैं, ऐसा ही एक FPO गुजरात के डांग जिले में काम कर रहा है। FPO (Farmer Producer Organization) का मकसद होता है किसानों को सही कीमत पर बीज-खाद और ज़रूरी चीज़ें मिले, साथ ही उनकी बाज़ार की समस्या भी खत्म हो जाए। क्योंकि जब तक किसानों की फसल बा़जा़र में सही समय पर नहीं पहुंचेगी उन्हें इसकी सही कीमत नहीं मिलेगी।

यही नहीं किसी भी फसल को कच्चे रूप में बेचने की बजाय अगर उनकी प्रोसेसिंग की जाए तो कीमत बढ़ जाती है, इसलिए गुजरात के डांग जिले में चलने वाले FPO OTLO ने मिलेट्स किसानों को फ़ायदा पहुंचाने और महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मिलेट्स की प्रोसेसिंग का काम शुरू किया। यहां मिलेट्स के नमकीन, पापड़ से लेकर कुकीज़, नूडल्स और पास्ता बनाने का काम भी महिलाएं ही कर रही हैं। OTLO किस तरह से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रहा है और मिलेट्स को ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है, इस बारे में OTLO के प्रोग्राम डायरेक्टर विनीत कुमार से बात की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।

कैसे हुई OTLO FPO की शुरुआत?

कहते हैं नाम में क्या रखा है, मगर हर नाम के पीछे भी कुछ कहानी, कुछ विचार होते हैं। OTLO FPO के नामकरण के बारे में बताते हुए विनीत कुमार कहते हैं, गुजराती में ओटलो का मतलब होता है चबूतरा, जहां कुछ लोग मिलकर किसी मुद्दे पर चर्चा करते हैं। वो भी किसानों के साथ इसी तरह चबूतरे पर बैठकर उनकी समस्याएं सुनते थे और उसका समाधान निकालने की कोशिश करते थे और बस यहीं से OTLO की शुरुआत हो गई। FPO के ज़रिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद, बीज उपलब्ध कराने के साथ ही मिलेट्स व्यवसाय में उनकी बाज़ार की समस्या को भी दूर करने की कोशिश की जा रही है।

4 हज़ार किसान जुड़े और मिलेट्स प्रोसेसिंग शुरू की

विनीत कुमार बताते हैं कि गुजरात के डांग जिले में 99 प्रतिशत आबादी आदिवासी लोगों की है। ये लोग बड़े पैमाने पर मिलेट्स की खेती करते हैं और थोड़ा पहाड़ी इलाका होने की वजह से अच्छी गुणवत्ता वाले मिलेट्स की उपज होती है। वो बताते हैं कि 5-6 साल पहले तक फसल सिर्फ़ बाहर भेजी जाती थी, लेकिन उनके FPO ने सोचा कि जब इतनी ज़्यादा उपज होती है तो क्यों न इसकी प्रोसेसिंग करके अलग-अलग उत्पाद तैयार किए जाए जिससे किसानों को भी फायदा हो। विनीत कहते हैं कि शुरुआत में उनके साथ 350 किसान जुड़े, जो संख्या अब बढ़कर 4000 तक पहुंच चुकी है।

प्रोसेसिंग यूनिट में 90 फ़ीसदी महिलाएं

कृषि के क्षेत्र में बहुत सी महिलाएं हैं, मगर उन्हें किसान का दर्जा नहीं दिया जाता। विनीत कुमार भी कहते हैं कि उनके FPO से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जो 4000 किसान जुड़े हैं, उनमें एक बड़ी संख्या महिलाओं की भी है। आगे वो बताते हैं कि खेती से जुड़ी गतिविधियों के साथ ही उनके FPO की प्रोसेसिंग यूनिट में करीब 90 फ़ीसदी महिलाएं हैं यानि कहा जा सकता है कि OTLO को चलाने वाली महिलाएं ही हैं। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने 2026 को अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष घोषित किया है यानि आने वाले सालों में कृषि के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान पर चर्चा की जाएगी।

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मिलेट्स से कौन से उत्पाद तैयार?

मिलेट्स से अलग-अलग तरह के उत्पाद बनाने के बारे में विनीत बताते हैं कि जो किसान मिलेट्स की खेती कर रहे हैं, उनके घर में तो पता है कि इसे खाना कैसे है या इससे कौन-सी चीज़ कैसे बनाई जाती है, लेकिन शहरी लोगों को नहीं पता होता कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए। मान लीजिए किसी शहरी महिला को रागी का आटा दे दिया जाए तो उन्हें ये पता ही नहीं चलेगा कि इसकी रोटी कैसे बनती है। इसलिए उनके FPO ने मिलेट्स को घर-घर तक पहुंचाने के लिए ऐसे उत्पाद बनाने शुरू किए जो शहर में आमतौर पर लोग खाना पसंद करते हैं जैसे नूडल्स, पास्ता, कुकीज़, नमकीन, बिस्कीट।

विनीत आगे कहते हैं कि चूंकि उनका FPO गुजरात में है, तो अलग-अलग तरह के खाखरा भी बनाते हैं जिसमें ज्वारा, बाजरा, रागी के कुल 8 तरह के फ्लेवर उपलब्ध हैं। उनका कहना है कि इसकी ख़ासियत है कि ये शुद्ध मिलेट्स से बना होता है, इसमें मैदा या आटा बिल्कुल भी नहीं मिलाया जाता है। खाखरा के साथ ही उनके पास कई तरह की कुकीज़ भी हैं। इसके अलावा वो अलग-अलग तरह की नमकीन भी बनाते हैं। इतना ही नहीं, वो हर क्षेत्र के स्वाद को ध्यान में रखते हुए ही मसालों का भी इस्तेमाल करते हैं जैसे महाराष्ट्र के लिए अलग मसाला, गुजराती फ्लेवर के लिए अलग मसाला, दक्षिण भारत और दिल्ली के लोगों के लिए अलग मसालों का इस्तेमाल होता है। विनीत कुमार के FPO ने बच्चों के लिए मिलेट्स के अलग-अलग फ्लेवर के पास्ता, नूडल्स के साथ ही मूसली और कॉर्न फ्लेक्स भी बनाए हैं। इसके अलावा वो अब इडली, डोसा के प्रीमिक्स बनाने पर भी काम कर रहे हैं। यानी अब शहरी लोगों के पास भी हेल्दी नाश्ते के ढेरो विकल्प हैं।

FPO खुलने से किसानों को फ़ायदा

उनके FPO से किसानों को होने वाले फ़ायदों के बारे में बात करते हुए विनीत कहते हैं कि किसानों को अब बीज खरीदने के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ता, जिससे उनके परिवहन का खर्च बचता है और सस्ती कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाले बीज मिल जाते हैं। किसानों की फसल को OTLO खरीद लेता है तो उनकी बाज़ार की समस्या भी खत्म हो जाती है और उन्हें फ़ायदा होता है। वहीं यूनिट में काम कर रही महिलाओं को पहले काम की तलाश में अपने गांव-कस्बे से बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें यहीं रोज़गार मिल गया है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

किसानों को प्रोसेसिंग और पैकेजिंग की ट्रेनिंग

विनीत कुमार बताते हैं कि उनके FPO के नैचुरल फ़ार्मिंग के सेंटर है, जहां उनके FPO से जुड़े किसान दूसरे किसानों को ट्रेनिंग देते हैं। इतना ही नहीं, उनके रहने की भी व्यवस्था की जाती है। विनीत कहते हैं कि उनका मकसद ज़्यादा से ज़्यादा FPO के साथ काम करने का है ताकि सबको फ़ायदा पहुंचे। वो उन्हें सिखाएंगे कि कच्चे माल को प्रोसेसिंग और पैकेजिंग कैसे किया जाए ताकि फसल की उचित कीमत मिल सके। कैसे अपने इलाके की खास चीज़ों की प्रोसेसिंग करके किसान आगे बढ़ सकते हैं। जैसे छत्तीसगढ़ के खुशबूदार चावल लोकप्रिय है तो वहीं पर प्रोसेसिंग करके उसकी पैकेजिंग की जाए ताकि फसल की अच्छी कीमत मिले और रोज़गार के अवसर बढ़ें।

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मिलेट्स और FPO पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: मिलेट्स (मोटे अनाज) क्या होते हैं?

जवाब: मिलेट्स (मोटे अनाज) एक प्रकार के छोटे बीज वाले अनाज होते हैं जो सदियों से विभिन्न संस्कृतियों में महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत रहे हैं। ये अनाज विशेष रूप से कठोर जलवायु में भी उगाए जा सकते हैं और इनमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। मिलेट्स को उनके पोषण मूल्य, स्वास्थ्य लाभ और कृषि में उनके उपयोग के लिए जाना जाता है।

सवाल: मिलेट्स कितने तरह के होते हैं?

जवाब: मिलेट्स के प्रकार:

  • ज्वार (Sorghum)
  • बाजरा (Pearl Millet)
  • रागी (Finger Millet)
  • कंगनी (Foxtail Millet)
  • कोदो (Kodo Millet)
  • चिन्ना (Little Millet)
  • सामा (Barnyard Millet)

सवाल: मिलेट्स को भोजन में शामिल करने के क्या फ़ायदे हैं?

जवाब: मिलेट्स पोषण से भरपूर होते हैं और इनमें फाइबर, प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स की अच्छी मात्रा होती है। मिलेट्स को अपने भोजन में शामिल करने से पाचन तंत्र बेहतर रहता है, ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है, और हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।

सवाल: मिलेट्स से खाने के क्या उत्पाद बनाए जा सकते हैं?

मिलेट्स का इस्तेमाल कई तरह के व्यंजनों में किया जा सकता है, जैसे:

  • रोटियां और परांठे: रागी और बाजरा के आटे से रोटियां और परांठे बनाये जाते हैं।
  • दलिया और खिचड़ी: मिलेट्स से दलिया और खिचड़ी बनाना एक हेल्दी विकल्प होता है।
  • बेकरी उत्पाद: मिलेट्स से कुकीज़, केक, पिज़्ज़ा और मफिन्स बनाये जा सकते हैं।
  • नूडल्स और पास्ता: मिलेट्स से बने नूडल्स और पास्ता की भी अभी काफ़ी डिमांड है।

सवाल: FPO क्या होता है और इसका मकसद क्या है?

जवाब: FPO (Farmer Producer Organization) एक संगठन होता है जो किसानों को संगठित करता है ताकि उन्हें सही कीमत पर बीज, खाद, और अन्य आवश्यक वस्तुएं मिल सकें। इस संगठन से जुड़कर कई किसान एक साथ होकर समूह में काम करते हैं। इसके अलावा, FPO का उद्देश्य किसानों की फसल को सही समय पर बाजार में पहुंचाना और उनकी बाजार संबंधी समस्याओं को दूर करना है। FPO के माध्यम से प्रोसेसिंग कर फसलों की कीमत बढ़ाई जाती है।

सवाल: मिलेट्स की प्रोसेसिंग से क्या लाभ होते हैं?

जवाब: मिलेट्स की प्रोसेसिंग से उनसे कई उत्पाद जैसे नूडल्स, पास्ता, कुकीज़, नमकीन, बिस्किट वगैरह बनाए जाते हैं, जिसका चलन अभी सहरी क्षेत्रों में काफ़ी बढ़ा है। इससे किसानों को उनकी फसल की अधिक कीमत मिलती है और उपभोक्ताओं को हेल्दीविकल्प मिलते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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