Fish farming Practices: तालाब बनाने से लेकर मछलियों के बीज और बाज़ार भाव पर विनीत सिंह से बात

मछली पालन में उन्नत प्रबंधन (Advanced Management in Fisheries) शामिल करता है: स्वच्छ जल और आहार प्रबंधन, रोग नियंत्रण, प्रौद्योगिकी उपयोग, और सरकारी योजनाएं।

Fish farming Practices मछली पालन में उन्नत प्रबंधन

 

किसी सामान को बेचने के लिए जैसे ग्राहकों की ज़रूरतों के बारे में पता होना ज़रूरी है, वैसे ही मछली पालन से अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए अपने इलाके के लोगों की पसंद के बारे में पता होना चाहिए। ग्रामीण इलाके में मछली पालन स्वरोज़गार का बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहा है। ग्रामीण बेरोज़गार युवकों को मछली पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। धीरे-धीरे ही सही, मगर युवा इस ओर आकर्षित हो रहे हैं और बढ़िया मुनाफ़ा भी कमा रहे हैं। मछली पालन में उन्नत प्रबंधन भी इसे और लाभकारी बना रहा है।

उत्तराखंड के रूद्रपूर के बागवाला गांव के युवा विनीत सिंह ने भी मछली पालन को ही अपना पेशा बना लिया है और वो इससे बढ़िया कमाई कर रहे हैं। मछली पालन में किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है और कैसे आप स्थानीय लोगों की पसंद का ध्यान रखकर अपने व्यवसाय से मुनाफ़ा कमा सकते हैं, इन सभी ज़रूरी मुद्दों पर विनीत सिंह ने चर्चा की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।

एक एकड़ के तालाब में 5-6 हज़ार मछली के बीज (Fish Seeds Quantity)

विनीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने 4 साल पहले इस काम की शुरुआत की थी और उनके पास फ़िलहाल 4 तालाब हैं, जिसमें वो अलग-अलग तरह मछलियों का पालन करते हैं। वो बताते हैं कि उनके पास रोहू, कतला, नैनी, ग्रास मछलिया हैं और पंगेशियस के लिए भी उन्होंने एक एकड़ का तालाब बनाया हुआ है। जहां तक मछली के बीज का सवाल है तो वो बताते हैं कि एक एकड़ के तालाब में 5-6 हज़ार सीड डालते हैं, जिसमें चार तरह की प्रजातियां शामिल हैं- रोहू, कतला, नैनी और ग्रास। ग्रास मछली के लिए वो चारा डालते हैं, जबकि अन्य मछलियों के लिए तालाब में फ्लोटिंग दाने का इस्तेमाल किया जाता है।

कितने दिनों में तैयार होती है मछली? (Fish Growth Cycle)

अच्छा उत्पादन लेने के लिए कब और कितने बड़े बीज डालना ज़रूरी है इस बारे में विनीत सिंह बताते हैं कि मछली पालकों को 100 ग्राम का बीज मार्च महीने में तालाब में डालना चाहिए। बीज के लिए एक अलग से सीड तालाब होना चाहिए जिसमें हमेशा बीज उपलब्ध हो। मछली तालाब में 8-10 महीने में ही 800 ग्राम तक की हो जाती है, जिसे आसानी से बेचा जा सकता है।

मछलियों का बीमारियों से बचाव (Fish Disease Control)

अगर आप चाहते हैं कि आपकी सभी मछलियां जीवित रहें और नकुसान कम से कम हो, तो इसके लिए आपको मछलियों को बाहरी कीट और रोगों से बचाना ज़रूरी है। किसी तरह के रोग या कीट से बचाव के लिए इसका पता लगाना ज़रूरी होती है। विनीत कहते हैं कि हर एक-डेढ़ महीने में वो जाल कराते हैं जिससे पता चलता है कि मछलियों को किसी तरह की बीमारी तो नहीं है। अलग-अलग तरह की बीमारियों के लिए बाज़ार में कई कंपनियों की दवाइयां उपलब्ध होती है जो मछलियों की दी जाती है। इसके अलावा, लोकल डॉक्टर को मछलियों की तस्वीरें भेजी जाती है और उनकी सलाह पर मछलियों को दवा दी जाती है।

मछली पालन में तालाब का आकार (Pond Size In Fish Farming)

मछली पालन सही तरीके से करने के लिए तालाब का सही आकार भी होना भी ज़रूरी है। विनीत सिंह का कहना है कि एक एकड़ से कम का तालाब नहीं होना चाहिए। चौड़ाई 150-200 फ़ीट से कम नहीं होनी चाहिए, लंबाई चाहे जितनी भी हो। गहराई 7-8 फ़ीट हो और पानी 5-6 फ़ीट तक होना चाहिए। उनके तालाब में भी पानी 5-6 फ़ीट है।

मछली उत्पादन में कमाई (Income from Fish Farming)

जहां तक आमदनी और उत्पादन का सवाल है तो विनीत अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि एक एकड़ के तालाब में अगर 5 हज़ार बीज डाले जाएं और मछली पालक अगर सही तरीके से इसकी देखभाल करें, तो 800 ग्राम अगर एक मछली का वज़न हो, तो कुल 5000 बच्चे का वज़न होगा 40 क्विंटल। बाज़ार भाव 150 रुपये प्रति किलो का है तो इस हिसाब से मछली पालक 6 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। खेती से अच्छी आमदनी मछली पालन से प्राप्त होती है। ये रोज़गार का बढ़िया विकल्प है, ख़ासतौर पर जो भूमि खेती योग्य नहीं है वहां मछली पालन करना मुनाफ़े का सौदा साबित होता है।

मछली उत्पादन में बाज़ार (Market In Fish Production)

कुछ किसानों को शिकायत होती है कि उनकी मछली बिकती नहीं है, तो इस बारे में विनीत सिंह किसानों को सलाह देते हैं कि पहले अपने इलाके के लोगों की पसंद के बारे में जाने यानि वहां के लोग कौन सी मछली खाना ज़्यादा पसंद करते हैं। जैसे कहीं रोहू ज़्यादा चलता है तो कहीं पंगेशियस। तो आप जिस इलाके में हैं वहां के लोग किस तरह की मछली ज़्यादा पसंद करते हैं उस हिसाब से उत्पादन करना चाहिए। विनीत सिंह अपने बारे में बताते हैं कि रूद्रपूर में बंगाली समुदाय के ज़्यादा लोग रहते हैं जिनकी पहली पसंद होती है रोहू मछली। इसलिए उनके यहां से 400 ग्राम वज़न की होते ही रोहू मछली बिकने लग जाती है।

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मछलियों का आहार (Commercial Fish Feeds)

मछलियों को दाना कितना और दिन में कितनी बार देना चाहिए इसका कोई एक तय फ़ॉर्मूला नहीं है। इस बारे में विनीत सिंह बताते हैं कि हर कंपनी के दाने का अलग-अलग स्टैंडर्ड होता है। वो जिस कंपनी का दाना इस्तेमाल करते हैं उसके मुताबिक, मछलियों के बॉडी मास का 2-2.5 प्रतिशत देना चाहिए। मान लीजिए 100 ग्राम के 5 हज़ार बच्चे उन्होंने स्टॉक किए हैं तो उनका वज़न 5 क्विंटल होता है, इसका दो प्रतिशत 100 किलो होगा। 40 किलो का एक बैग आता है, तो रोज़ाना कम से कम दो बैग दाना मछलियों को देना ज़रूरी है।

सिर्फ़ दाना खिलाते रहना ही काफ़ी नहीं है। ये देखना भी ज़रूरी है कि इससे मछलियों का कितना विकास हो रहा है। विनीत बताते हैं कि इसके लिए वो एक-डेढ़ महीने दाना खिलाने के बाद नेटिंग के ज़रिए मछलियों को बाहर निकालकर देखते हैं कि उनका विकास कितना हुआ है। आप जिस दाने को इस्तेमाल करना चाहते हैं या जो आपके इलाके में आसानी से मिल जाए, उस कंपनी का दाना लेने पर कंपनी से एक आदमी आता है और आपको समझाएगा कि मछलियों को दाना कब और कितनी मात्रा में देना चाहिए।

मछली पालन से जुड़ी अहम टिप्स (Fish Farming Tips)

किसी भी व्यवसाय में मुनाफ़ा कमाने के लिए कुछ आधारभूत बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होती है। मछली पालन से मोटी कमाई करने के लिए भी आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। विनीत कहते हैं कि तालाब खोदने से पहले मिट्टी की जांच कराएं कि क्या उस मिट्टी में पानी रुक पाएगा या नहीं। कई किसानों को तालाब खोदने के बाद पानी भरने में ही बहुत समय लग जाता है, क्योंकि तालाब में पानी रुकता ही नहीं है। दूसरी बात ये है कि स्थानीय बीज स्पलायर्स की बजाय सरकारी बीज स्पलायर्स से सीड लेना चाहिए। तीसरी बात ये कि क्वांटिटी का ध्यान रखना भी ज़रूरी है। मछलियों को जो दाना खिलाया जा रहा है उससे ग्रोथ कितनी हो रही है, किसी तरह की बीमारी तो नहीं हो रही। इस पर निगरानी रखना भी ज़रूरी है, तभी इसकी रोकथाम कर पाएंगे।

विनीत सिंह ने ट्रेनिंग लेने के बाद मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया और तालाब निर्माण के लिए उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत लाभ भी मिला। ऐसे में वो ग्रामीण बेरोज़गार युवकों को भी मछली पालन की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि ये बहुत अच्छा व्यवसाय है। सरकार की ओर से भी इस क्षेत्र में कई योजनाए शुरू की गई हैं जिसका लाभ लिया जा सकता है।

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तालाब में मछली पालन पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: मछली पालन क्या है?

जवाब: मछली पालन एक कृषि प्रक्रिया है, जिसमें तालाब, झील, नदी, या अन्य जल संसाधनों में मछलियों का पालन-पोषण किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मछलियों की संख्या बढ़ाना और उनकी गुणवत्ता में सुधार करना है। मछली पालन के माध्यम से न केवल मछलियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाती है, बल्कि ये आर्थिक लाभ का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।

सवाल: तालाब में मछली पालन के लिए कौन-कौन सी मछलियां उपयुक्त हैं?

जवाब: तालाब में मछली पालन एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, बशर्ते आप सही तरह की मछलियों का चयन करें। सबसे उपयुक्त मछलियों में रोहू, कतला, और मृगल प्रमुख हैं। इन मछलियों की पालन की प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल है और वे तेजी से बढ़ती हैं, जिससे इनके पालन का आर्थिक लाभ अधिक होता है।

सवाल: तालाब का चयन और तैयारी कैसे करें?

जवाब: सबसे पहले, तालाब के स्थान का चयन करते समय ध्यान दें कि वह स्थान सूर्य की रोशनी से अच्छी तरह से प्रकाशित हो और वहां छाया कम हो। ये  सुनिश्चित करेगा कि जल में ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त हो और मछलियां स्वस्थ रहें। जल की गुणवत्ता और तालाब की गहराई भी महत्वपूर्ण कारक है।

सवाल: मछलियों की देखभाल और स्वास्थ्य प्रबंधन कैसे करें?

जवाब: मछली पालन में मछलियों की देखभाल और उनके स्वास्थ्य प्रबंधन का महत्वपूर्ण स्थान है। मछलियों की बीमारियों की पहचान और समय पर उपचार करना आवश्यक है ताकि तालाब में मछली पालन सफल हो सके। सबसे पहले, मछलियों की बीमारियों के लक्षणों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। सामान्यतः, मछलियों में होने वाली बीमारियाँ जैसे फंगल इंफेक्शन, बैक्टीरियल इंफेक्शन, और परजीवी संक्रमण शामिल होती हैं। इन बीमारियों के लक्षणों में मछलियों की त्वचा पर धब्बे, पंखों का क्षरण, और असामान्य तैराकी शामिल हो सकते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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