जैविक खेती कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसान नितिन चंद्रकांत गायकवाड, जानिए उनकी सफलता की कहानी

महाराष्ट्र के नितिन चंद्रकांत गायकवाड द्वारा अपनाई गई जैविक खेती, जो किसानों को रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक तरीकों से खेती करने की प्रेरणा देती है।

जैविक खेती

नितिन चंद्रकांत गायकवाड का परिचय (Introduction)

नितिन चंद्रकांत गायकवाड, महाराष्ट्र के चांदखेड़ जिले के रहने वाले हैं। उनका नाम आज जैविक खेती के क्षेत्र में एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में लिया जाता है। नितिन चंद्रकांत ने पिछले 20 सालों में जैविक खेती को अपनाया और उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। इस दौरान उन्होंने चावल, कलिंगर, खरबूजा जैसी कई फ़सलें उगाई हैं। उनकी खेती की यह यात्रा कई किसानों के लिए एक मिसाल बन चुकी है।

उनका यह मानना है कि रासायनिक खेती के बजाय जैविक खेती को अपनाने से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर रहती है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है। जैविक खेती के द्वारा, हम न केवल पर्यावरण को बचा सकते हैं, बल्कि इससे उगाई गई फ़सलें भी हमारे शरीर के लिए सुरक्षित और पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।

नितिन का यह विश्वास है कि अगर हम अपनी भूमि को प्राकृतिक तरीके से उर्वरित रखें, तो उससे उत्पादन भी बेहतर होगा और हमें रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उनका यह विचार आज के समय में किसानों के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें टिकाऊ कृषि पद्धतियों के माध्यम से पृथ्वी और मानवता दोनों का भला किया जा सकता है।

जैविक तरीके से चावल की खेती (Organic Rice Farming)

नितिन चंद्रकांत ने बताया कि वह हर साल जून महीने में जैविक तरीके से चावल की खेती करते हैं। उनके खेत में चावल की खेती पूरी तरह से प्राकृतिक पद्धतियों के आधार पर की जाती है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं होता। इसके लिए वह जीवमृत का उपयोग करते हैं, जो मुख्य रूप से गोबर, घास और अन्य जैविक सामग्री से तैयार किया जाता है। यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और चावल के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।

उनके पास 11-15 एकड़ ज़मीन हैं जिसमें से चावल की खेती के लिए वह 3.5 एकड़ का प्रयोग करते हैं। यहां की जलवायु में सिंचाई की कोई बड़ी समस्या नहीं होती, क्योंकि यहां नियमित बारिश होती है। वे बताते हैं कि चावल की खेती के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है, और यहां के जलवायु और भूमि की विशेषताओं के कारण उनकी सिंचाई की जरूरतें पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा, जब पानी की जरूरत कम होती है, तो वह सोयाबीन जैसी फ़सलों की खेती करते हैं, जो कम पानी में अच्छी वृद्धि करती हैं।

नितिन चंद्रकांत की खेती में रेड राइस (लाल चावल) और ब्लैक राइस (काले चावल) जैसी विशेष किस्मों का समावेश है। वह बताते हैं कि इन चावलों को वे बहुत कम पोलिश करते हैं, जिससे उनका पोषण स्तर बरकरार रहता है। कम पोलिशिंग के कारण चावल के अंदर मौजूद खनिज और पोषक तत्व अधिक सुरक्षित रहते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। इस तरह से नितिन चंद्रकांत जैविक खेती के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले और स्वास्थ्यवर्धक चावल का उत्पादन करते हैं।

जैविक तरीके से फलों की खेती (Organic Fruit Farming)

नितिन चंद्रकांत के अनुसार, चावल की खेती के बाद वह दिसंबर महीने में कलिंगर और खरबूजा उगाते हैं। उनका कहना है कि हर साल वह 50 टन तक कलिंगर का उत्पादन कर लेते हैं, और उनके जैविक तरीके से उगाए गए कलिंगर की मांग इतनी अधिक है कि लोग उन्हें 50 किलोमीटर दूर से भी खरीदने आते हैं। यह इस बात का संकेत है कि उनके उत्पाद की गुणवत्ता और स्वाद लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।

कलिंगर और खरबूजे की खेती में वह पूरी तरह से जैविक विधि का पालन करते हैं। इसके लिए वह जीवमृत का उपयोग करते हैं, जो गाय के दूध, गो मूत्र, बेसन और गुड़ के मिश्रण से तैयार किया जाता है। यह मिश्रण पूरी तरह से प्राकृतिक होता है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। नितिन चंद्रकांत बताते हैं कि वह इस मिश्रण का छिड़काव अपने फलों पर ड्रिप सिंचाई के माध्यम से करते हैं। यह विधि कलिंगर की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करती है।

इस जैविक खाद के इस्तेमाल से कलिंगर मीठे, बड़े और लाल रंग के होते हैं, जो न केवल दिखने में आकर्षक होते हैं, बल्कि स्वाद में भी बेहतरीन होते हैं। नितिन चंद्रकांत का कहना है कि उनका कलिंगर इतना स्वादिष्ट और अच्छा होता है कि लोग उन्हें कई किलोमीटर दूर से खरीदने आते हैं, और यह उनके उत्पाद की गुणवत्ता का प्रमाण है।

इस प्रकार, नितिन चंद्रकांत जैविक तरीके से फलों की खेती में सफलता प्राप्त कर रहे हैं और उनके उत्पाद बाज़ार में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। उनके फलों में कोई रासायनिक तत्व नहीं होते, जिससे उपभोक्ताओं को पूरी तरह से सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद मिलता है।

जैविक खेती अपनाने का कारण (Reasons for adopting Organic Farming)

नितिन चंद्रकांत का मानना है कि जैविक खेती अपनाने का मुख्य कारण यह है कि जैसे इंसान की सेहत का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है, वैसे ही मिट्टी की सेहत का भी ध्यान रखना उतना ही महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि अगर हम अपनी मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखेंगे, तो वह ज़्यादा उपजाऊ बनेगी और हमें बेहतर फ़सल का उत्पादन मिलेगा। वह इस बात पर जोर देते हैं कि मिट्टी की सेहत को बनाए रखने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये मिट्टी की प्राकृतिक संरचना और उसके पोषक तत्वों को नुकसान पहुंचाते हैं।

नितिन चंद्रकांत का यह भी कहना है कि हमारे पूर्वजों ने भी रसायन मुक्त खेती के जरिए मिट्टी की सेहत का ख्याल रखा था, और उनकी खेती अधिक समय तक सफल रही थी। इस तरह, पुराने समय में जो प्राकृतिक तरीके थे, उन्हें अपनाकर हम अपनी मिट्टी को स्वस्थ रख सकते हैं और बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं। नितिन चंद्रकांत का यह विचार इस बात को साबित करता है कि जैविक खेती न केवल हमारे लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फ़ायदेमंद है। अगर हम अपनी मिट्टी की देखभाल करेंगे, तो न केवल हम अच्छे उत्पाद प्राप्त करेंगे, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।

मार्केटिंग और आय (Marketing and Revenue)

नितिन चंद्रकांत ने बताया कि वह हर साल 21 से 30 लाख रुपये तक की कमाई करते हैं, जिसमें उनकी जैविक खेती से उगाई गई फ़सलों जैसे कलिंगर, खरबूजा, चावल, सोयाबीन का अहम योगदान है। इसके अलावा, वह दुधारू पशुओं से प्राप्त दूध और उससे बने अन्य उत्पाद भी बेचते हैं, जो उनकी आय का एक और महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इसके साथ ही, नितिन चंद्रकांत जैविक खाद यानी जीवमृत भी तैयार करते हैं और उसे बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त करते हैं।

नितिन चंद्रकांत की मार्केटिंग काफ़ी सरल और प्रभावी है। उन्हें इस बारे में ज़्यादा प्रयास नहीं करना पड़ता, क्योंकि उनके पिता के समय से ही लोग उनके उत्पाद खरीदते आ रहे हैं और आज भी आस-पास के लोग उनकी जैविक उत्पादों को बहुत पसंद करते हैं। उनका अच्छा नाम और विश्वसनीयता ही उनके लिए सबसे बड़ी मार्केटिंग का काम करती है। इसके अलावा, उनकी खेती के उत्पादों की गुणवत्ता और स्वाद ने उन्हें स्थानीय बाज़ार में एक मज़बूत पहचान दिलाई है, जिससे उनकी कमाई लगातार बढ़ रही है।

जैविक खेती की समस्याएं और समाधान (Problems and Solutions of Organic Farming)

नितिन चंद्रकांत का मानना है कि जैविक खेती में लागत कम होती है, और भले ही उत्पादन रासायनिक खेती की तुलना में थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन अगर हम अपनी मिट्टी को रसायन मुक्त और स्वस्थ रखें, तो जैविक खेती से भी अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। उनका कहना है कि जैविक खेती की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि इससे मिट्टी की सेहत में सुधार होता है, जिससे उत्पादन के परिणाम लंबे समय तक स्थिर रहते हैं।

नितिन चंद्रकांत का यह भी कहना है कि जैविक खेती से हमारी सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ता है, क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। उनका मानना है कि जब मिट्टी स्वस्थ होती है, तो फ़सल भी प्राकृतिक रूप से मज़बूत होती है, और इस कारण उनकी खेती में ज़्यादा समस्याएं नहीं आतीं। इसके अलावा, जैविक तरीके से खेती करने से पर्यावरण पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ता, जिससे दीर्घकालिक रूप से समस्याएं कम होती हैं। इसलिए, जैविक खेती को चुनने से न केवल किसानों को लाभ होता है, बल्कि समाज और पर्यावरण को भी फ़ायदा मिलता है।

सम्मान और पुरस्कार (Honours and Awards)

नितिन चंद्रकांत बताते हैं कि उन्हें उनके कृषि कार्य और समर्पण के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इनमें पुणे जिल्हा परिषद से कृषीनिष्ठ शेतकरी पुरस्कार, कृषि विभाग से आत्मा उत्कृष्ट शेतकरी पुरस्कार, और महाराष्ट्र राज्य कृषि विभाग से शेतीनिष्ठ शेतकरी पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें तालुका और जिल्हा स्तर पर भी पुरस्कार मिल चुके हैं।

नितिन चंद्रकांत ने राईस पीक स्पर्धा में भी पहले स्थान पर आकर पुरस्कार प्राप्त किया। साथ ही, उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे के हाथों प्रगतशील शेतकरी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। उनके राईस के अच्छे उत्पादन के कारण उन्हें महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय, राहुरी के कुलगुरु श्री प्रशांत जी पाटील द्वारा राईस के आयडॉल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

इसके अलावा, नितिन चंद्रकांत को विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से भी कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जो उनके कार्य और समर्पण की सराहना करते हैं। इन सभी पुरस्कारों से न केवल उनकी मेहनत की पहचान हुई है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि जैविक खेती और सस्टेनेबल एग्रीकल्चर में उनका योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

अन्य किसानों के लिए संदेश और भविष्य की योजना (Message for other farmers and Future Plans)

नितिन चंद्रकांत का सपना है कि वह और अधिक किसानों को जैविक खेती के महत्व के बारे में जागरूक कर सकें। उनका मानना है कि रासायनिक खेती के बजाय जैविक खेती सस्ती और फ़ायदेमंद है, क्योंकि इसमें रासायनिक उर्वरकों की लागत नहीं होती, और यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर है। उनका संदेश है, “जैविक करें और रसायन मुक्त रहें।”

नितिन चंद्रकांत निरंतर विभिन्न स्थानों पर जाकर किसानों को जैविक खेती के फायदे बताते हैं और उन्हें इसके लिए प्रेरित करते हैं। उनका लक्ष्य है कि आने वाले समय में और अधिक किसान जैविक खेती अपनाएं, ताकि कृषि क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव आ सके और किसानों को बेहतर लाभ मिले। उनके इस कार्य से न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है, बल्कि इससे पूरे समाज और पर्यावरण को भी फ़ायदा होगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

नितिन चंद्रकांत गायकवाड की जैविक खेती की सफलता एक प्रेरणा है, जो यह साबित करती है कि रासायनिक खेती से हटकर प्राकृतिक तरीके अपनाकर हम न केवल अच्छे उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचा सकते हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और आधुनिक खेती के तरीकों ने उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार दिलाए हैं। नितिन चंद्रकांत का संदेश साफ है: “जैविक खेती अपनाएं, रसायन मुक्त रहें और अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण को बचाएं।” उनके इस दृष्टिकोण से न केवल कृषि क्षेत्र को फ़ायदा हुआ है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्थायी और सुरक्षित खेती की दिशा दिखाई है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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